नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की चुनावी जीत को ऐतिहासिक बताते हुए प्रतिष्ठित अमेरिकी थिंक टैंक और विशेषज्ञों ने कहा कि इस जीत ने मोदी को भारतीय राजनीति की नई परिभाषा लिखने का मौका दिया है.
कार्नेजी इन्डावमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एश्ले टेलिस ने कहा, 'यह ऐतिहासिक जीत केवल मोदी की जीत नहीं है, बल्कि भारतीय जनता की जीत है, जिसने आर्थिक कुप्रबंधन और नीतिगत जड़ता के खिलाफ खुलकर एक संदेश दिया है.' उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि मोदी का निर्वाचन भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याओं को ठीक करने की दिशा में नई राह खोलेगा और ऐसा हुआ तो यह भारत-अमेरिका संबंधों के लिए अच्छी खबर है.'
टेलिस ने साथ ही कहा कि मोदी का निर्वाचन अमेरिकी कंपनियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन अमेरिका को मोदी के निर्वाचन का लाभ बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के निर्माण के लिए उठाने को लेकर अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने जैसा कई दशक पहले किया था, पूर्ण बहुमत वाली अकेली पार्टी के साथ मोदी को भारतीय राजनीतिक को पुन: परिभाषित करने का मौका मिला है और अगर मोदी अपने जीत के फॉमूर्ले पर कायम रहते हैं तो वह आने वाले लंबे समय तक भारत के प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं.'
सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के यूएस-अमेरिका पॉलिसी स्टडीज के रिचर्ड रोसोव ने कहा कि अमेरिकी कंपनियां भारत में एक अधिक स्थिर एवं अनुकूल माहौल की उम्मीद कर सकती हैं. उन्होंने कहा, पिछले कुछ सालों में अधिक व्यापार अनुकूल माहौल की उम्मीद में कई संभावित प्रत्यक्ष निवेश दरकिनार रह गए. हालांकि रोसोव ने कहा कि मोदी को वीजा ना दिए जाने के परिप्रेक्ष्य में दोनों देशों की सरकारों के संबंध धीरे धीरे आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा, लेकिन हम नए व्यापार हितों के साथ रक्षा सहयोग में नयी रुचि की अपेक्षा कर सकते हैं जो भारत की तरफ दोबारा अमेरिकी सरकार का ध्यान खींचेगी.
पूर्व राजनयिक दंपति टेरेसिटा और हॉवर्ड शाफर ने कहा, दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस सरकार की प्रभावहीनता के साथ मोदी लहर लोगों की आकांक्षाओं और तेज असंतोष को दर्शाती है. उम्मीदें बहुत हैं, उन्हें पूरा करना असामान्य रूप से एक बड़ी चुनौती होगी. राइस यूनिवर्सिटी के बेकर इंस्टीट्यूट फोर पब्लिक पॉलिसी के शोधार्थी रसेल ग्रीन ने कहा, भारत में मोदी की चुनावी जीत को अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जाएगा.