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स्वतंत्रता दिवस पर मोदी-ओबामा की दोस्ती छुएगी नया आसमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की दोस्ती इस बार स्वतंत्रता दिवस पर नए आयाम छूने जा रही है. स्वतंत्रता दिवस पर देश में पतंगें उड़ाने की परंपरा है. इस बार इस परंपरा में मोदी और ओबामा की दोस्ती भी एक नया रंग भरने को तैयार है.

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दिग्गजों की दोस्ती भरेगी उड़ान...
दिग्गजों की दोस्ती भरेगी उड़ान...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की दोस्ती इस बार स्वतंत्रता दिवस पर नए आयाम छूने जा रही है. स्वतंत्रता दिवस पर देश में पतंगें उड़ाने की परंपरा है. इस बार इस परंपरा में मोदी और ओबामा की दोस्ती भी एक नया रंग भरने को तैयार है.

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दोनों नेताओं की फोटो वाली पतंगें अभी से उड़ती नजर आने लगी हैं. ऐसी पतंगों की मार्केट में काफी मांग है. पतंगों पर बॉलीवुड अभिनेता सलमान , शाहरुख, अमिताभ, करीना सहित फिल्मी और टीवी की दुनिया के कई कलाकार भी होंगे.

हैरानी की बात यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आसमान में उड़ती पतंगों में नजर नहीं आ रहे हैं. स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि इस बार अब तक केजरीवाल की पतंग आई ही नहीं है.

बाजार में पीएम मोदी की दो तरह की पतंगें हैं, एक में उनकी अकेले की फोटो है, जिस पर लिखा है 'महानायक' और किनारे लिखा है 'अच्छे दिन'. इसके अलावा मोदी-ओबामा, दोनों की फोटो एक ही पतंग पर भी है. पुरानी दिल्ली के लालकुआं इलाके में हर साल कई राज्यों के पतंग व्यापारी पतंगों की दुकान लगाते हैं. इस बार भी यह बाजार राजनेताओं, कलाकारों और कार्टूनों की रंग-बिरंगी पतंगों से अटा पड़ा है.

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राजधानी के कई हिस्सों से लोग आजादी का जश्न मानने के लिए पतंग और मांझा खरीदने के लिए इस बाजार का रुख कर रहे हैं. राजधानी में बरसों से 15 अगस्त के मौके पर दिनभर पतंगबाजी होती है और हर उम्र के लोग पतंगबाजी का लुफ्त उठाते हैं. आरिफ पतंग सेंटर के मोहम्मद आरिफ ने बताया कि ग्राहक मोदी, सलमान, पीकू, दीपिका, कैटरीना, करीना, छोटा भीम, बालवीर की पतंगें ले रहे हैं.

एक अन्य दुकानदार ने बताया कि अध्धी, तैता और पौनी साइज की पतंगों की ज्यादा मांग है. 40 वर्ग इंच की पतंग जिसका नाम तावा है, उसे भी कुछ लोग खरीद रहे हैं. तिरंगे की पतंगों को भी लोग पसंद कर रहे हैं. पतंगों को उड़ानों के लिए मांझा और सद्दी का इस्तेमाल किया जाता है. जिसका मांझा जितना तेज होगा, उतनी पतंगों को काट सकेगा. पहले सिर्फ बरेली के मांझे की मांग थी, लेकिन अब चीन का मांझा भी बाजार में है. हालांकि इस पर प्रतिबंध है, लेकिन यह आसानी से मिल जाएगा. यह देसी मांझे से अच्छा और सस्ता है.

एक अन्य दुकानदार नवेद ने बताया कि मांझा बरेली का मशहूर है, लेकिन चीनी मांझे ने इसके बाजार को कम कर दिया है. उन्होंने बताया कि चीनी मांझा प्लास्टिक का है तथा सस्ता है और गुणवत्ता में बेरली के मांझे से अच्छा है. इसकी खासियत यह है कि इससे पतंग उड़ाने के लिए सद्दी का इस्तेमाल नहीं करना होगा. नवेद ने बताया कि चीनी मांझे की तीन रील की चरखी (एक रील में करीब 900 मीटर) 170 रुपये की आ जाती है, जबकि भारतीय मांझे की 350 से 400 रुपये में मिलती है. इसलिए लोग इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पर प्रतिबंध है, फिर भी मिल रहा है.

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इनपुट: भाषा

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