खादी विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन (KVIC) के सालाना कैलेंडर और टेबल डायरी में इस साल चरखा वही होगा लेकिन महात्मा गांधी की जगह पीएम मोदी नजर आएंगे.
सूत्रों की मानें तो नए कैलेंडर और डायरी में चरखे के साथ बापू सरीखा पोज देते मोदी को देखकर KVIC के अधिकारी और कर्मचारी हैरान हैं.
गांधी की जगह मोदी
धोती पहनकर चरखा कातते हुए गांधीजी की ये तस्वीर भारत के जनमानस में दशकों से बसी है. हालांकि मोदी धोती की जगह ट्रेडमार्क कुर्ते-पजामे और जैकेट में नजर आए हैं. जिस चरखे पर वो सूत कात रहे हैं वो भी थोड़ा आधुनिक है.
बापू को मिटाने की कोशिश तो आरएसएस ८३ साल से कर रहा है । मोदी भी कोशिश कर ले । बापू दिलों में बसते हैं,डिक्टेटर उन्हें ऐसे नहीं मिटा सकता । https://t.co/5UBx2XlmLQ
— ashutosh (@ashutosh83B) January 12, 2017
कर्मचारियों का विरोध
KVIC के कई कर्मचारी इसे राष्ट्रपिता का अपमान मान रहे हैं और उनमें से कुछ गुरुवार को लंच टाइम के दौरान मुंह पर काली पट्टी बांधे दिखे.
‘मोदी भी खादी के प्रतीक’
हालांकि KVIC के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना का कहना है कि मोदी की इस तस्वीर में कुछ भी गलत नहीं है और गांधीजी की इस मशहूर तस्वीर में पहली बार बदलाव नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘पूरा खादी उद्योग गांधीजी के आदर्शों पर आधारित है इसलिए उन्हें नजरअंदाज करने का सवाल नहीं उठता. मोदी भी लंबे वक्त से खादी पहनते आ रहे हैं और इसे देश-विदेश में लोकप्रिय बनाने में उनका भी योगदान है. उन्होंने खादी को अपना अलग अंदाज दिया है.’
सक्सेना के मुताबिक, ‘मोदी खादी के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसेडर हैं. KVIC का मकसद गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है और मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ का ख्वाब इस अवधारणा से मेल खाता है. हम खादी के उत्पादन और मार्केटिंग में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना चाहते हैं. मोदी युवाओं के लिए भी आदर्श हैं.’
‘आदर्शों से समझौता’
दूसरी ओर, KVIC के एक कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि वो गांधीजी के विचारों के साथ साल दर साल हो रहे समझौते से आहत हैं. ‘पिछले साल भी प्रधानमंत्री के फोटो को कैलेंडर में जगह दी गई थी,’ इस कर्मचारी ने बताया.
2016 में KVIC की कर्मचारी यूनियनों ने इस मसले को जोर-शोर से उठाया था. उस वक्त मैनेजमेंट ने भरोसा दिलाया था कि गांधीजी की इस तस्वीर के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
उपरोक्त कर्मचारी का कहना था, ‘लेकिन इस साल गांधीजी की तस्वीर पूरी तरह ही हटा दी गई है. महात्मा गांधी की फिलासफी और उनकी तस्वीर को कैलेंडर और डायरी से पूरी तरह हटा दिया गया है.’