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नरेंद्र मोदी की रैली ने दी बीजेपी को ‘संजीवनी’, रैली में गूंजा ‘ शेर आया, शेर आया’

पिछले एक दशक के दौरान यूपी की राजनीति में हाशिए पर चली गई बीजेपी को 19 अक्टूबर को कानपुर के गौतमबद्घ पार्क में आयोजित पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की धमाकेदार रैली ने संजीवनी दे दी है. कानपुर में मोदी को सुनने उमड़ी करीब तीन लाख लोगों की भीड़ ने बीजेपी नेताओं के बीच मोदी नाम का डंका बजा दिया है.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

पिछले एक दशक के दौरान यूपी की राजनीति में हाशिए पर चली गई बीजेपी को 19 अक्टूबर को कानपुर के गौतमबद्घ पार्क में आयोजित पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की धमाकेदार रैली ने संजीवनी दे दी है. कानपुर में मोदी को सुनने उमड़ी करीब तीन लाख लोगों की भीड़ ने बीजेपी नेताओं के बीच मोदी नाम का डंका बजा दिया है.

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राममंदिर आंदोलन के बाद यह पहला मौका था जब यूपी में बीजेपी की रैली में इतनी बड़ी भीड़ जुटी हो. मोदी के साथ मंच में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री और एटा से निर्दलीय सांसद कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, ओमप्रकाश सिंह के साथ बीजेपी के राष् ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बखूबी यह संदेश देने की कोशिश की कि यूपी में पार्टी के भीतर किसी प्रकार का अंतर्विरोध नहीं है और कार्याकर्ताओं के साथा पार्टी के सभी बड़े नेता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प कर चुके हैं.

कानपुर की रैली में पार्टी नेताओं को इस बात का संकेत मिल गया कि बीजेपी अब अटल-आडवाणी के युग को पीछे छोड़ मोदी युग में प्रवेश कर चुकी है. देश का मैनचेस्टर कही जाने वाली कानपुर नगरी में मोदी का जुनून सिर चढक़र बोल रहा था. मोदी जब बोलने के लिए खड़े हुए तो ‘ शेर आया, शेर आया’ के जोरदार नारे लगने लगे. रैली में युवाओं का जोश और ‘ मोदी-मोदी’ की नारेबाजी इतनी हुई कि कई बार मोदी को अपना भाषण रोकना पड़ा.

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सही मायने में देखा जाए तो कानपुर में मोदी की रैली बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई थी. रैली स्थल को लेकर जितरह से अनिश्चितता रही उससे पार्टी काफी उलझ्न में थी. प्रशासन से भी कई बार टकराव हुआ. यही नहीं यूपी में मोदी के चुनावी आगाज को जोरदार बनाने के लिए बीजेपी नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. यह प्रदेश के बीजेपी नेताओं का इम्तहान भी था जिसमें फिलहाल वे खरे उतरते दिखाई दे रहे हैं.

हालांकि मुसलमानों में पैठ बनाने की नरेंद्र मोदी की कोशिशें अभी तक नाकाम ही साबित हुई हैं. कानपुर की रैली में भी बड़ी संख्या में मुस्लिमों की भीड़ जुटने के दावे किए गए थे. इसके लिए मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बकायदा एक - बुकलेट- बांटी गई थी जिसमें गुजरात में नरेंद्र मोदी द्वारा मुसलमानों की बेहतरी के लिए कराए गए कार्यों का जिक्र था बावजूद इसके कानपुर की रैली में मुसलमानों के नजरिए से पार्टी का ‘ बिस्मिल्लाह’ बेहतर नहीं रहा. कानपुर में उमड़े जनसैलाब के बीच मुस्लिम चेहरों का न होना भी चर्चा का जन्म दे गया.

कानपुर की इस विशाल रैली ने बीजेपी की कमजोरियों को भी रेखांकित कर दिया. राममंदिर आंदोलन के समय एक ओर जहां पार्टी के पास स्थानीय स्तर पर ऐसे वक्ताओं की जमात थी जो जोशीले भाषणों से लोगों में उत्साह भर देते थे वहीं लगातार युवाओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश में जुटी बीजेपी के पास फिलहाल वरिष्ठ नेताओं की बीच ऐसे नए युवा नेताओं की टीम नहीं है जो अपने भाषणों से समा बांध दें.

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कानपुर में मोदी को सुनने के लिए दोपहर 11 बजे से ही भीड़ रैली स्थल पर पहुंचने लगी थी और इस भीड़ को बांधे रखने के लिए पार्टी ने फिल्मी गाने की पैरोडी का सहारा लिया जिसमें मोदी का गुणगान और कांग्रेस की आलोचना की गई थी. पाकिस्तानी गायक अताउल्लाह खान द्वारा गाया गया गाना ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ की तर्ज पर लिखा गया गीत ‘धोखा दिया सदा कांग्रेस आइ ने, देश को लूट लिया सोनिया ताई ने’ पर भीड़ ने जमकर तालियां पीटीं. इसके अलावा ‘सदा चूसे खून गरीबों का, कांग्रेस तो दगाबाज रे’ जैसे गीतों ने कानपुर रैली के शुरू में समा बांधने की भरसक कोशिश की.

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