कश्मीर के अलगाववादी नेता और तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस मिलकर
भारत को 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की तैयारी कर रहे हैं. गिलानी ने ये भी कहा है कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनावों का भी बहिष्कार करेगी. श्रीनगर के रावलपुरा स्थित अपने घर में
नजरबंद गिलानी ने एक अंग्रेजी वेबसाइट www.thepoliticalindian.com को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है.
चुनाव का बहिष्कार करेंगे
गिलानी ने साफ किया कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेगी. उनका कहना है कि 7.5 लाख सेना
के जवानों की मौजूदगी में कभी भी वोटर अपने आप को आजाद महसूस नहीं करेगा. इस सवाल पर कि वो जम्मू-कश्मीर का अगला मुख्यमंत्री किसे
देखना चाहते है, तो उनका जवाब था कि मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो लेकिन इस राज्य पर गृह मंत्रालय राज करता है, बाकी सब के सब उनके पुतले की तरह
काम करते हैं. केंद्र सरकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों को प्रताड़ित करने के लिए चुनाव कराती है.
गिलानी से जब ये पूछा गया कि क्या अब कश्मीर के युवाओं पर हुर्रियत की पकड़ कमजोर पड़ गई है तो उनका कहना था कि ये सब अफवाहें भारतीय इंटेलिजेंस की फैलाई हुईं हैं. कश्मीर के युवा आज भी हुर्रियत के साथ आत्मा से जुड़े हुए हैं और कोई भी झूठा प्रचार हमें अलग नहीं कर सकता.
'कश्मीर के नीरो' हैं उमर
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर पूछे गए सवाल पर गिलानी का कहना था कि भारत सरकार पिछले 67 साल से इस राज्य के लोगों को प्रताड़ित करने का काम किया है और फिलहाल उमर भी केंद्र सरकार के इशारों पर नाचने वाले नेता ही साबित हुए हैं. कश्मीर के इतिहास में उमर का कार्यकाल अब तक का सबसे घटिया कार्यकाल रहा है. वो 'कश्मीर के नीरो' बन गए हैं.
भारत को 'हिंदू राष्ट्र' बना रहे हैं मोदी
नरेंद्र मोदी के काम काज पर गिलानी ने कहा कि चाहे सरकार किसी की भी पार्टी की हो लेकिन केंद्र सरकार की पॉलिसी वही रहती है. लेकिन इन सबसे परे नरेंद्र मोदी एक हिंदू नेता हैं जिनपर आरएसएस की विचारधारा हावी है और भारत को 'हिंदू राष्ट्र' बनाना ही उनका एकमात्र एजेंडा है.
अनुच्छेद 370 पर
अनुच्छेद 370 पर केंद्रीय मंत्री और जम्मू के सांसद जितेंद्र सिंह द्वारा अनुच्छेद 370 पर दिए गए बयान पर गिलानी का कहना था कि केंद्र सरकार अंदर ही अंदर इसके खिलाफ है लेकिन कश्मीरी लोगों के विरोध के डर से सरकार इस मामले में खुलकर बोलने से बचती रही है.
भारत-पाक रिश्ते पर मोदी की पहल पर जबह गिलानी से पूछा गया तो उनका कहना था कि इस मुद्दे पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. इस मुद्दे को वक्त पर छोड़ देना ही बेहतर है. पिछले 30-40 साल में जितने भी प्रधानमंत्री रहे हैं उनमें से किसी में भी कश्मीर मुद्दे पर बात करने की हिम्मत नहीं थी. यह पूछे जाने पर कि वो 10 साल बाद कश्मीर को कैसा देखना चाहते हैं तो उनका जवाब था कि कश्मीर को युवा आजादी चाहते हैं और यकीनन आने वाला वक्त उनका होगा.