बीजेपी नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करे या ना करे, मोदी जहां भी जाते हैं मानो इसी हैसियत से बोलते हैं और उनसे सवाल भी यूं पूछे जाते हैं जैसे वो देश के भावी प्रधानमंत्री हों. अभी तक युवाओं और बुद्धिजीवियों के सामने अपना विज़न रखा था मोदी ने. आज बारी महिलाओं की थी.
मोदी ने महिलाओं पर नमो-नमो की शुरुआत की तो रुके ही नहीं. स्कूल की पढ़ाई से लेकर अस्पताल की दवाई तक और मकान की लिखाई से लेकर कारोबार की मलाई तक लेकिन क्या ये वाकई गुजरात के इस लाल ने अपने सूबे में महिलाओं को कमाल का तोहफा दिया है. कुछ आंकड़ों पर ग़ौर फरमाने की जरुरत है.
गुजरात विधानसभा में बीजेपी की केवल 14 महिलाएं
50 फीसदी आरक्षण का अनारदाना फेंकने वाले मोदी ने 181 सीटों वाली गुजरात विधानसभा के चुनाव में सिर्फ 18 महिलाओं को टिकट दिया था. इनमें से 14 चुनाव जीतकर पहुंची लेकिन जब मंत्री बनाने की बारी आई तो मोदी ने दो पर समेट दिया.
10वीं से पहले 26 फीसदी लड़कियां छोड़ देती हैं पढाई
गुजरात सरकार की ही एक रिपोर्ट बताती है कि 8वीं से 10वीं के बीच 2001 में 21 फीसदी लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती थीं और अब 26 फ़ीसदी छोड़ देती हैं. फिक्की के मंच पर नरेंद्र मोदी ने महिला विकास की ऐसी तमाम व्याख्याएं कर डालीं जो उनके खाते में हैं ही नहीं लेकिन राजनीति का खेल इसी को कहते हैं. बोली से ही अपना बही दुरुस्त रखना होता है.
दिल्ली के खचाखच भरे फिक्की सभारोह में मोदी सिर्फ नारीशक्ति की संभावनाओं पर केंद्रित रहे. अपनी क़ामयाबी के कुछ किस्से सुनाए, कुछ कहानियां कहीं और कुछ कहावतों का ज़िक्र किया.
मोदी ने 40 मिनट में आधी शक्ति की पूरी परिक्रमा कर डाली. बताया कि महिलाएं आगे नहीं जाएंगी तो देश कहां-कहां पीछे रह जाएगा और उनके लिए गुजरात में क्या-क्या अनूठा कर डाला है.
मोदी बिना कुछ किए हुए महफिल लूट रहे थे. महिलाओं को मिल्कियत की मालकिन बनाने की जिस मलाई का वो ज़िक्र कर रहे थे वो तो अभी तक कानून ही नहीं बना और मोदी ने साढ़े 6 सौ करोड़ के नुकसान तक का फीता फेंक दिया.