बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हिंदी पट्टी के किसी राज्य से चुनाव लड़ सकते हैं. बीजेपी सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक चार राज्यों से मिले जनादेश के बाद पार्टी और आरएसएस ((राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) चाहते हैं कि मोदी हिंदी पट्टी से चुनाव लड़ें.
बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया टुडे ग्रुप को बताया है कि आरएसएस ने पार्टी आलाकमान को अपनी राय बता दी है. इस संबंध में पार्टी जनवरी में फैसला ले सकती है. बताया जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह 15 जनवरी के बाद लोकसभा सीटों को लेकर विचार-विमर्श करेंगे. ऐसे में 15 जनवरी के बाद किसी भी वक्त मोदी की लोकसभा सीट के नाम का ऐलान हो सकता है.
हालांकि बीजेपी में इस बात को लेकर मतभेद हैं कि मोदी गुजरात को छोड़कर किसी और राज्य से चुनाव लड़ें. इस धड़े का मानना है कि मोदी गुजरात का गर्व हैं और गुजराती कतई यह नहीं चाहेंगे कि उनके मुख्यमंत्री कहीं और से चुनाव लड़ें. वहीं, इसके उलट संघ नेतृत्व का मानना है कि अगर मोदी उत्तर भारत से चुनाव लड़ते हैं तो इससे यूपी और बिहार जैसे राज्यों में बीजेपी का जनाधार बढ़ेगा. मोदी ने भी यह निर्णय पार्टी आलाकमान पर छोड़ रखा है.
लखनऊ और वाराणसी चर्चा में
वैसे मोदी को लखनऊ और वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाने की चर्चा पार्टी में सबसे ज्यादा है. लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सीट है. अगर मोदी यहां से खड़े होते हैं तो इससे यह संदेश जाएगा कि वह वाजपेयी के नक्शे-कदम पर हैं. लेकिन लखनऊ के जातीय समीकरण मोदी की छवि के हक में नहीं है. यहां के 30 फीसदी मुस्लिम वोटर मोदी की राह मुश्किल बना सकते हैं.
अगर मोदी दूसरा विकल्प यानी वाराणसी चुनते हैं तो इससे पार्टी को काफी फायदा होगा. पार्टी का मानना है कि अगर मोदी इस धार्मिक स्थल से चुनाव लड़ते हैं तो यूपी की 20 सीट और पड़ोसी राज्य बिहार की कुछ सीटों पर इसका असर पड़ेगा. लेकिन दिक्कत यह है कि वाराणसी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का गढ़ है. जोशी अपनी सीट को नहीं छोड़ना चाहेंगे. मोदी के करीबी चाहते हैं कि जोशी मोदी के लिए वाराणसी छोड़कर कानपुर से चुनाव लड़े.