प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन मोदी ने अपनी सुरक्षा की जानकारी को लेकर सूचना के अधिकार के तहत एक और याचिका दायर की है.
इस बार उन्होंने ये याचिका गांधीनगर स्थित गुजरात के सूचना आयुक्त को दी है. उनकी पिछली याचिका पर सरकार ने उन्हें जानकारी देने से इंकार कर दिया था.
अपने वकील संदीप मोदी के साथ जशोदाबेन ने कल गांधीनगर में राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष दूसरी अपील दायर की. उन्होंने नवंबर 2014 में एक आरटीआई आवेदन दायर कर मेहसाणा पुलिस से स्पष्ट सूचना मांगी थी कि उन्हें क्या सुरक्षा मिली हुई है और वह कितनी सुरक्षा की हकदार हैं.
पुलिस ने जानकारी देने से कर दिया था मना
जशोदाबेन ने प्रोटोकॉल के तहत उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की ओर से जारी वास्तविक आदेश की प्रमाणित प्रति भी मांगी थी. उन्होंने भारतीय संविधान के तहत प्रधानमंत्री की पत्नी को दी जाने वाली सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों और कानूनों के बारे में भी सूचना मांगी थी. हालांकि मेहसाणा पुलिस ने आरटीआई के तहत 27 दिसंबर को उन्हें सूचना देने से इनकार करते हुए कहा कि उनके सभी सवाल स्थानीय खुफिया ब्यूरो से (एलआईबी) से जुड़े हुए हैं जो आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं आते.
जसोदा की सुरक्षा में रहते हैं 10 जवान
इसके बाद जशोदाबेन ने जिला पुलिस अधीक्षक जे. आर. मोथालिया के समक्ष जनवरी 2015 में अपील दायर की. हालांकि वह भी खारिज हो गई. जशोदाबेन अपने भाई अशोक मोदी के साथ मेहसाणा जिले के उंझा कस्बे में रहती हैं. 26 मई 2014 को मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मेहसाणा पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई. मेहसाणा पुलिस ने हथियारबंद सुरक्षाकर्मी सहित 10 पुलिस कर्मियों को उनकी सुरक्षा के लिए लगाया. ये दसों सुरक्षाकर्मी दो शिफ्ट में पांच-पांच करके काम करते हैं.
PM को पत्नी को सुरक्षाकर्मियों से लगता है डर
आरटीआई के तहत जशोदाबेन ने वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था से नाखुशी जताई है कि उनके सुरक्षाकर्मी सरकारी वाहनों, जैसे कार में यात्रा करते हैं जबकि प्रधानमंत्री की पत्नी होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करना पड़ता है.
जशोदाबेन ने कहा है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अपने अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी और उन्हें अपने सुरक्षाकर्मियों से डर लगता है. उन्होंने सरकार से कहा है कि वह प्रत्येक सुरक्षाकर्मी द्वारा तैनाती का आदेशपत्र दिखाना अनिवार्य कर दे.
अपने वकील संदीप मोदी के साथ जशोदाबेन ने शनिवार को गांधीनगर में राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष दूसरी अपील दायर की. उन्होंने नवंबर 2014 में एक आरटीआई आवेदन दायर कर मेहसाणा पुलिस से स्पष्ट सूचना मांगी थी कि उन्हें क्या सुरक्षा मिली हुई है और वह कितनी सुरक्षा की हकदार हैं.
जशोदाबेन के परिजनों और वकील का कहना है कि अगर 30 दिनों के अंदर उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो जशोदाबेन और उनके वकील गुजरात हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.