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धर्म संसद में बोले भागवत, श्री श्री को राम मंदिर मामले में दखल नहीं देना चाहिए

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने राम मंदिर में मध्यस्थता करने की पहल करने पर श्रीश्री रविशंकर पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि वो पहले ही श्रीश्री रविशंकर को बता चुके हैं कि इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए.

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मोहन भागवत
मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने धर्म संसद के मंच से आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि वो पहले ही श्री श्री रविशंकर को बता चुके हैं कि राम जन्मभूमि मामले में उनको दखल नहीं देना चाहिए.

कर्नाटक के उडुपी में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से आयोजित धर्म संसद में भागवत ने राम मंदिर में मध्यस्थता करने की पहल करने पर श्री श्री रविशंकर की कड़ी आलोचना की. भागवत ने कहा कि आचार्य धर्मेंद्र ने रविशंकर के राम मंदिर मसले पर प्रस्ताव पास करने के प्रस्ताव को कोई अहमियत नहीं दी है.

उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि मामले में फैसले लेने के लिए धर्म संसद को अगुवाई करनी चाहिए, जबकि इस मसले पर श्री श्री रविशंकर खुद ही फैसले ले रहे हैं. माना जा रहा है कि भागवत के इस बयान से राम मंदिर मसले में श्री श्री की मध्यस्थता की कोशिशों को तगड़ा झटका लगेगा.

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आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हम राम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने को लेकर बातचीत कर रहे थे. भागवत का यह बयान श्री श्री रविशंकर के अयोध्या दौरे से पहले आया है. शनिवार को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक रविशंकर अयोध्या जा रहे हैं. भागवत ने कहा कि श्री श्री रविशंकर मशहूर हस्ती हैं. उनको हम मीडिया के जरिए जानते हैं.

उन्होंने कहा, ''रविशंकर मेरे पास आए थे और मुलाकात की थी. जब उन्होंने इस बाबत मुझसे बात की, तो मैंने कहा कि यह हमारा काम नहीं हैं. लिहाजा इस पर कोई बात नहीं होगी. हालांकि उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान मेरी मौजूदगी में फिर इसका राग छेड़ दिया. इस कार्यक्रम में आचार्य धर्मेंद्र भी मौजूद थे.''

भागवत ने कहा, ''इस कार्यक्रम में श्री श्री रविशंकर ने हमारे सामने एक प्रस्ताव रखा और इसको आगे बढ़ाने की पहल भी की. इस पर मैंने उनसे कहा कि यह काम गलती से भी मत कीजिए यहां...जब उन्होंने इस प्रस्ताव को दिया, तभी आचार्य धर्मेंद्र खड़े भी हो गए और प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया.'' 

शुक्रवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने फिर कहा कि राम जन्मभूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं बनेगा. उन्हीं पत्थरों से बनेगा. उन्हीं की अगुवाई में बनेगा, जो झंडा उठाकर पिछले 20-25 वर्षों से चल रहे हैं. इस दौरान उन्होंने गौरक्षकों को जबरन बदनाम करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन पर धर्म संसद के मार्गदर्शन से हम फैसला लेंगे. हम इस पर आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि सभी अपने हिसाब से काम कर रहे हैं. यहां लोकतंत्र भी है और स्वतंत्रता भी.

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पीठाधीश्वर विश्वेशतीर्थ महाराज ने घोषणा की कि सभी बाधाओं को दूर करके एक साल के अंदर ही राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा. उडुपी में आयोजित होने वाली धर्म संसद के संकल्प हमेशा से पूरे हुए हैं. धर्म संसद ने साल 1969 में अस्पृश्यता दूर करने और साल 1985 में राम जन्मभूमि का ताला खोलने का संकल्प लिया था. दोनों ही संकल्प पूरे हुए थे.

उन्होंने कहा कि इसी तरह राम मंदिर निर्माण का संकल्प भी पूरा होगा. इस दौरान धर्म संसद में उपस्थित संतों ने जयश्रीराम के घोष के साथ इसका स्वागत किया. इस दौरान विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि मठ-मंदिरों का अधिग्रहण और विध्वंस किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

मामलू हो कि श्री श्री रविशंकर राम मंदिर विवाद को सुलझाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं. वो इसके लिए हिंदू और मुस्लिम धर्म गुरुओं से बातचीत भी कर रहे हैं. 16 नवंबर को अयोध्या में श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि राम मंदिर मुद्दे पर फॉर्मूला निकालना आसान नहीं है, लेकिन वह 100 बार फेल होने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला एक पक्ष पर भारी पड़ेगा, हमें सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए. राजनीति और कोर्ट को इन मुलाकातों से अलग रखें. संघर्ष के बिना ही हल निकलना चाहिए. इसके अलावा राम मंदिर विवाद को निपटाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पैसे लेने की कोशिश करने का भी मामला सामने आ चुका है.

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