देश में एक तरफ जहां आर्थिक आधार पर पिछड़े समुदायों को आरक्षण की मांग जोर पकड़ रही है, वहीं इस मसले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपनी राय जाहिर की है. उन्होंने समाज के पिछड़े वर्ग की उन्नति का पक्ष लेते हुए संविधान के तहत लागू जारी आरक्षण व्यवस्था के बने रहने की बात कही.
आरएसएस के तीन दिवसीय कार्यक्रम के आखिरी दिन बुधवार को संघ प्रमुख ने कहा कि सामाजिक विषमता दूर करने के लिए संविधान में जहां जितना आरक्षण दिया गया है, संघ उसका समर्थन करता है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि समाज में बराबरी की व्यवस्था लागू करने के लिए ही संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया है, संविधान सम्मत सभी आरक्षणों को संघ का पूरा समर्थन है और रहेगा.
वहीं, क्रीमीलेयर वर्ग के तहत आने वाले लोगों को आरक्षण जारी रखने पर मोहन भागवत ने कहा कि आरक्षण कब तक चलेगा, इसका निर्णय वही लोग करेंगे जिन्हें यह दिया गया है.
आरक्षण की मांग कर रही दूसरी जातियों पर संघ प्रमुख ने कहा कि इस काम के लिए पीठ है और वह इस पर विचार कर रही है. उन्होंने सामाजिक तौर पर पिछड़े नागिरकों को सम्मान और इज्जत मिलने की वकालत करते हुए ये कहा कि जिस समाज को हजारों वर्षों से पीछे रखा गया, अगर उसकी बराबरी के लिए हमें 100 साल नीचे भी झुकना पड़े तो ये कोई महंगा सौदा नहीं है. यानी उन्होंने देश के उच्च वर्ग से दलित-आदिवासियों के जारी आरक्षण का सम्मान करने का आह्वान किया.
भागवत ने स्पष्ट कहा कि आरक्षण समस्या नहीं है, लेकिन इस पर जो राजनीति होती है वह समस्या है. बता दें कि 2019 का लोकसभा चुनाव करीब है, ऐसे में कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों के लिए भी आरक्षण की मांग कर रहे हैं. यहां तक कि दलितों की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती भी सार्वजनिक तौर पर आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जाति के लोगों को आरक्षण की व्यवस्था का समर्थन कर चुकी हैं. अब इस मुद्दे पर बिहार में आंदोलन देखने को मिल रहा है तो हिंदुस्तान अवाम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी भी कमजोर सवर्णों को आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं.
वहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण से लेकर हरियाणा, गुजरात व राजस्थान में ओबीसी वर्ग की जातियां लंबे वक्त से आरक्षण की मांग कर रही हैं. राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब हैं और इससे पहले वहां की सत्ताधारी बीजेपी को खासतौर पर गुर्जरों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.