सरसंघचालक मोहन भागवत पूरे परिवार के मुखिया हैं और अगर मुखिया ही नसीहतों का पिटारा खोल दे तो ये समझना गलत नहीं होगा कि परिवार मे कुछ गड़बड़ जरूर है.
मौका था संघ के मुखपत्र पांचजन्य और ऑरगनाइजर के लोकार्पण का. लेकिन भागवत लोकार्पण के बहाने पार्टी में चल रही उठापटक पर तमाम खेमों को खरी खरी सुनाने से नहीं चूके. अब बीजेपी के भीष्म पितामह आडवाणी दर्शक दीर्घा मे मौजूद थे तो सबसे पहला संदेश शायद उनके ही नाम रहा. भागवत ने कहा परिवर्तन एक अपरिवर्तनिय नियम है. ये हितकारी हो इसलिए अपरिवर्तनिया का ध्यान भी रखना पड़ता है. संकेत साफ था कि परिवर्तन को स्वीकार किया जाए. हालांकि भागवत ने घावों पर ये कह मलहम लगाने की कोशिश भी की कि युवावस्था में भटकने की शक्ति होती है लेकिन बुढ़ापे में भटकने का साहस नहीं होता.
अब बारी थी राजनाथ सिंह और मोदी के लिए छुपे संदेश की. भागवत ने कहा कि अनुकूल परिस्थियों में ज्यादा सावधानी रखनी पड़ती है और पर्याप्त सावधानी से चलना पड़ता है. यानी ज्यादा आत्मविश्वास की जरूरत नहीं. हालांकि सरसंघचालक का अगला संदेश उन नेताओं के लिए था तो लहर की सोचकर ही हवा में उड़ रहे हैं. भागवत ने कहा कि पतंग तभी तक आकाश में खुला विचरण करती है जब नीचे किसी के हाथ में डोर रहती है और अगर ये डोर हाथ से निकल जाएगी तो पतंग संभल नहीं पाएगी. भागवत ने दो टूक कहा कि मत अलग अलग हो सकते हैं लेकिन मन अलग नहीं होने देना है. शास्त्रार्थ करना परंपरा है और मुद्दों पर बहस कर हल निकाला जा सकता है. लेकिन इस प्रकार का वातावरण नहीं दिखता. जाहिर है बीजेपी नेताओं की मीडिया के माध्यम से चल रही तनातनी से परिवार के मुखिया आहत हैं.
हालांकि अपना भाषण खत्म करते करते भागवत थोड़े नरम पड़ते भी नजर आए. भागवत ने इशारों इशारों में कहा कि लोग परेशान हैं कांग्रेस से. जहां आधार दिखता है वहां जा रहे हैं और उनका नित्य स्मरण होता है. भागवत ने कहा कि जिस यात्रा में हम यानी स्वंयसेवक लगे हैं वो सफल होगी. यानी जीत की उम्मीद के साथ भागवत ने बीजेपी को लक्ष्य पूरा करने में लग जाने का संदेश भी दे दिया. अब भागवत आए तो थे संघ के मुखपत्र के लोकार्पण के लिए लेकिन इन संदेशों से साफ है कि बीजेपी की कलह से संघ खुश नहीं.