वित्त मंत्रालय द्वारा ईंधन कीमत नियमों में बदलाव के जरिये सब्सिडी में कटौती के प्रस्ताव पर पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने आपत्ति जताई है. मोइली ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को अगर घाटे की भरपाई नहीं की जाती है, तो इससे उनके अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा.
वित्त मंत्रालय चाहता है कि पेट्रोल और डीजल के दाम निर्यात बाजार में हासिल होने वाली कीमत के समान होने चाहिए. फिलहाल, ईंधन के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के मूल्य में परिवहन एवं सीमा शुल्क जोड़ने के बाद तय किए जाते हैं.
मोइली ने कहा, ‘2005-06 से पेट्रोलियम विपणन कंपनियां कच्चे तेल या पेट्रोलियम उत्पादों पर किसी प्रकार का मार्जिन नहीं जोड़ रही हैं. आयात मूल्य में परिवहन तथा करों को जोड़ने के बाद बिक्री मूल्य निकाला जाता है.’
मोइली ने बताया कि तीनों तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) को चालू वित्त वर्ष में 1,63,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है. वित्त मंत्रालय निर्यात सममूल्य तरीके मूल्य तय करने का तरीका अपना कर इसमें 17,000 करोड़ रुपये की कटौती करना चाहता है.
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘यदि आप उनका मुआवजा 17,000 करोड़ रुपये घटा देते हैं, तो उन्हें विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए धन कहां से मिलेगा.’
इस मामले में मोइली ने चीन का उदाहरण दिया, जो रिफाइनरियों का भारी विस्तार कर रहा है. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम कंपनियों को आधुनिकीकरण तथा पुरानी और लगभग ठप पड़ी इकाइयों को चालू करने के लिए 80 अरब डालर की जरूरत होगी.
सरकार पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल, एलपीजी तथा मिट्टी तेल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से होने वाले घाटे की भरपाई करती है. मोइली ने कहा, ‘यदि वास्तविक नुकसान की भरपाई नहीं होती है, तो हमें पैसा कहां से मिलेगा. वे रिफाइनरियों का विस्तार या उनका आधुनिकीकरण नहीं कर पाएंगी. पेट्रोलियम कंपनियों के साथ तो स्थिति यह है कि सुबह वह कमातीं हैं और शाम को सारा पैसा खर्च हो जाता है. कोई अधिशेष धन नहीं बचता.’
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए और निवेश की वकालत कर रहे हैं. ‘यदि पैसा ही नहीं होगा, तो निवेश कहां से आएगा.’ मोइली ने बताया कि वह जल्द वित्त मंत्री से मुलाकात कर वाहन ईंधन कीमतों पर विचार विमर्श करेंगे क्योंकि इस पर पेट्रोलियम कंपनियों का भविष्य टिका है.