देहरादून के दून स्कूल से पढ़े-लिखे मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के रिश्ते देश के हाई प्रोफाइल लोगों से हैं. इनमें उद्योगपति, राजनेता और नौकरशाह सब शामिल हैं. कुरैशी इस समय जमानत पर हैं, लेकिन उनसे जुड़े मामले ने देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के नंबर एक और नंबर दो अफसर की छुट्टी करा दी है.
छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना एक-दूसरे पर घूस लेने के आरोप लगा रहे हैं. एक डिप्टी एसपी को इस मामले में गिरफ्तार तक कर लिया गया है. मामला इतना बड़ा हो गया है कि खुद पीएमओ हरकत में आया और दोनों अफसर छुट्टी पर भेज दिए गए.
वैसे मोइन कुरैशी के मामले की जांच की आंच पहले भी सीबीआई चीफ को झुलसा चुकी है. इनमें आलोक वर्मा से पहले सीबीआई चीफ रहे रंजीत सिन्हा और एपी सिंह शामिल हैं.
एपी सिंह को महंगी पड़ी कुरैशी से दोस्ती
मोइन कुरैशी के मामले में सबसे पहले सीबीआई के चीफ रहे एपी सिंह निशाने पर आए. सिंह 30 नवंबर 2010 से 2012 तक सीबीआई के चीफ रहे. एपी सिंह के दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी वाले घर सी-134 से मोइन अपनी कंपनी चला रहे थे. ये संपत्ति एपी सिंह की मां के नाम पर रजिस्टर है.
अक्टूबर 2014 को तब के एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कुरैशी के पूर्व निदेशक एपी सिंह के साथ गहरे ताल्लुकात थे. 19 जून 2014 को आयकर विभाग ने एपी सिंह और उनकी पत्नी शबनम सिंह को नोटिस जारी करके उनके व्यक्तिगत लेन-देन का ब्योरा मांगा था.
इसके तहत एपी सिंह और उनकी पत्नी से उनके आयकर रिटर्न, बड़े लेन-देन, क्रेडिट कार्ड सूचना और 2009 के बाद की चल-अचल संपत्ति और पिछले तीन सालों के दौरान विदेश यात्राओं का ब्योरा देने को कहा गया था. मामले ने तूल पकड़ा तो एपी सिंह को 15 जनवरी 2015 को यूपीएससी के सदस्य पद से इस्तीफा देना पड़ा.
दरअसल, सीबीआई निदेशक पद पर रहते हुए एपी सिंह ने नवंबर 2012 में सीबीआई में दिवाली सेलिब्रेशन के लिए एसएम प्रोडक्शन नाम की कंपनी को ठेका दिया था. एसएम प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड में मोइन कुरैशी की 10 प्रतिशत और उसकी बेटी सिल्विया कुरैशी की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
रंजीत सिन्हा के लिए भी खड़ी हुई मुश्किलें
एपी सिंह के बाद सीबीआई के चीफ बने रंजीत सिन्हा से मोइन कुरैशी की नजदीकियां सामने आई थीं. सिन्हा से मिलने वालों की डायरी में भी मोइन कुरैशी का नाम आया था. रंजीत सिन्हा 30 नवंबर 2012 से 2014 तक निदेशक रहे. सिन्हा के 15 महीने के कार्यकाल में मोइन कुरैशी ने 90 बार मुलाकात की थी.
कुरैशी के ठिकानों पर जनवरी-अगस्त 2014 में छापे के बाद 74 बार उनकी सिन्हा से मुलाकात के आरोप हैं. ये खुलासा सिन्हा के घर की विजिटर्स डायरी से हुआ था, जिसके जरिए उनपर आरोप लगाए गए थे कि वे 2जी घोटाले का आरोपियों से मुलाकात कर रहे हैं.
अस्थाना पर रफा-दफा करने का आरोप
सीबीआई ने 15 अक्टूबर को विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना के खिलाफ कुरैशी से जुड़े मामले को रफा-दफा करने के लिए पैसे लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज की. अस्थाना पर एक कारोबारी सतीश साना से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है. सतीश साना कुरैशी के मामले के तहत जांच के दायरे में है.
आरोप है कि यह रकम उनके खिलाफ जांच को प्रभावित करने के लिए दी गई थी. जांच अस्थाना की अगुवाई में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही थी. अस्थाना 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के गुजरात कैडर के अधिकारी है.
आलोक वर्मा पर लगे आरोप
एक तरफ अस्थाना पर 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप लगे तो राकेश अस्थाना ने भी आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने के आरोप लगा दिए. राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया कि आलोक वर्मा ने खुद 2 करोड़ रुपये रिश्वत ली, इसलिए खुद को बचाने के लिए वर्मा द्वारा उनके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं.