हिंदुओं के लिए बैकुंठ धाम का मार्ग समझे जाने वाले केदारनाथ मंदिर में मंगलवार को बारिश का पानी और कीचड़ भर गया, जहां अचानक आई अभूतपूर्व बाढ़ में 50 लोगों की मौत हो गई. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आसमान से बरसी कयामत में 130 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और दोनों राज्यों के तीर्थस्थानों में 70 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री फंसे हुए हैं.
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चार धाम में से एक केदारनाथ मंदिर पर बारिश का कहर सबसे ज्यादा टूटा. इलाके में बहुत से तीर्थयात्रियों सहित करीब 500 लोग लापता बताए जाते हैं. उखीमठ के अनुमंडलीय मजिस्ट्रेट राकेश तिवारी ने केदारनाथ से लौटने के बाद संवाददाताओं को बताया कि मंदिर से सटे इलाकों में करीब 50 लोगों के शव पड़े हैं.
उन्होंने बताया कि प्रशासन फिलहाल उन लोगों पर ध्यान दे रहा है, जो जिंदा हैं और मुसीबत में हैं. उन्होंने कहा कि पानी उतरने के बाद जब राहत दल प्रभावित इलाकों में पहुंचेंगे तो मरने वालों की तादाद में भारी इजाफा हो सकता है. केदारनाथ मंदिर परिसर का एक हिस्सा बाढ़ के पानी में बह गया, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि मंदिर के ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. मंदिर के नजदीक स्थित राम बाड़ा इलाका, जहां हमेशा चहल पहल रहा करती थी, इस समय पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है और राहत हेलीकाप्टरों को यहां पानी के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.
सेना की केन्द्रीय कमान के अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ में 6,000 से 8,000, हेमकुंड साहिब में 2,500 और बद्रीनाथ में करीब 8,000 लोग फंसे हुए हैं.
बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने उत्तरी भारत में अब तक 131 जान ले ली हैं. उत्तर प्रदेश में हजारों लोग बेघर हो गए हैं, जहां नदियां उफान पर हैं. उत्तराखंड में मरने वालों की संख्या 102 पर पहुंच चुकी है. दैव्य आपदा का दंश सबसे ज्यादा झेलने वाले रुद्रप्रयाग जिले में 20 लोगों की मौत हुई और 40 होटल सहित 73 इमारतें अलकनंदा नदी की उफनती धारा में बह गईं.
केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा करके अपना परलोक सुधारने निकले कुल 71,440 लोग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, चमोली, और उत्तरकाशी जिलों में फंसे हुए हैं. भारी भूस्खलन और सड़कें टूटने के कारण प्रसिद्ध चार धाम यात्रा रोक दी गई है. आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने बताया कि इनमें 27,040 लोग चमोली में फंसे हैं, जबकि रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में क्रमश: 25,000 और 9,850 तीर्थयात्री फंसे हुए हैं.
राहत और बचाव कार्यों में आई तेजी
बारिश में मंगलवार को थोड़ी कमी आने पर प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव उपाय बढ़ा दिए गए हैं. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में राहत अभियानों में एक दर्जन से अधिक हेलीकाप्टर लगाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि तीर्थस्थलों में फंसे तमाम लोगों को जल्द सुरक्षित निकाल लिया जाएगा.
केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में खाना, दवाएं और कंबल गिराए जा रहे हैं. गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी दोनो राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है.
सिंह ने नयी दिल्ली में कहा, ‘हमने उत्तराखंड को सात हेलीकाप्टर दिए हैं. राज्य सरकार ने भी चार निजी हेलीकाप्टर लिए हैं. हम हिमाचल प्रदेश को भी हेलीकाप्टर दे रहे हैं. उम्मीद है कि सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा.’ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, जो भूस्खलन के कारण करीब 60 घंटे से किन्नौर जिले में फंसे हुए थे, को मंगलवार सुबह उनकी कांग्रेस पार्टी द्वारा लिए गए हेलीकाप्टर से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया.
दिल्ली पर भी बाढ़ का खतरा
दिल्ली पर भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रहा है. पूर्वी दिल्ली के निचले इलाकों में रहने वाले करीब 1500 लोगों को बाढ़ के खतरे वाले स्थानों से हटाकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.यमुना का पानी मंगलवार सुबह सात बजे 204.83 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया और शाम सात बजे तक 205.58 मीटर पर पहुंच गया. बाढ़ और सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
यूपी के कई इलाकों में चेतावनी जारी
उत्तर प्रदेश के बहुत से इलाकों में भारी बारिश और कई बैराज से सोमवार से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद राज्य में चेतावनी जारी कर दी गई है. इस बीच राज्य में बारिश से जुड़े हादसों में तीन किशोरों सहित चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई. तीन किशोरों की मौत महाराजगंज में बिजली गिरने से हुई. एक महिला मुजफ्फरनगर में एक मकान गिरने से मारी गई. घटना में छह अन्य लोग घायल हुए.