बाढ़ की तबाही के देशभर से ऐसी ऐसी तस्वीरें आ रही हैं कि देखने वालों की रूह कांप जाए. मॉनसून के आखिरी पड़ाव में भी बादल उत्तर से लेकर दक्षिण तक कहर बरपाने पर आमादा हैं. उत्तराखंड में सैलाब ने दो मकान सफाचट कर दिए.
पहले उत्तर भारत में बाढ़ ने कहर मचाया, अब दक्षिण में उसका उत्पात लोगों के सिर मौत बनकर नाच रहा है. लेकिन बाढ़ और सैलाब के रूप में आए यमदूतों से मुकाबला कर रहे हैं वो जलदूत, जो अपनी जान पर खेलकर ना जाने कितनी जिंदगियां बचा रहे हैं. केरल से कर्नाटक तक सैलाब का कहर झेलकर सेना, नौसेना और NDRF के जवान लोगों की जिंदगियां बचा रहे हैं.
कुदरत ने ये तबाही उत्तराखंड में चमोली में बारिश की शक्ल में बरसाई है. रविवार शाम को इलाके में बादल फट पड़े. यकायक हुई मूलसाधार बारिश से तमाम नदी नाले उबल पड़े, चारों तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा. पानी की इसी मार ने इन मकानों का नामोनिशान मिटा दिया. चमोली के दूसरे इलाकों और बाजारों में भी यही मंजर है. सड़कों मैदानों पर या तो मलबे का ढेर लगा है या समंदर दिख रहा है.
बाढ़ से त्राहिमाम-त्राहिमाम
उत्तर भारत में तबाही मचाने से मन नहीं भरा तो दक्षिण में अपना रौद्र रूप दिखाने पहुंच गई बाढ़. आलम ये है कि केरल से कर्नाटक तक भयंकर बाढ़ से त्राहिमाम-त्राहिमाम हो रहा है. दोनों राज्यों में अब तक करीब 130 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मौत का ये आंकड़ा बढ़ सकता था, अगर बाढ़ के क्रोध से मुठभेड़ के लिए एनडीआरएफ के जवानों ने मोर्चा नहीं संभाला होता.
कर्नाटक के बेलगाम में कृष्णा नदी ने आसपास के इलाकों को निगलना शुरू किया तो अफरा-तफरी मच गई. सेना, नेवी और एनडीआरएफ की टीमों ने पानी में फंसे परिवारों को बाहर निकालने का जिम्मा उठाया. बाढ़ से बचाए गए एक मासूम ने जब बचाव टीम का हाथ हिलाकर शुक्रिया अदा किया तो परेशानी और तनाव के इस माहौल में भी हर चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई.
बाढ़ में फंसे कई बुजुर्ग ऐसे भी थे जो चलने फिरने में असमर्थ थे. बचाव टीम के सदस्यों ने इन्हें गोद में उठाकर बोट पर बिठाया और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया. हाहाकार के इस हालात में सेना और एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीमें किसी देवदूत की तरह प्रकट हो रही हैं.
एक तस्वीरें केरल के पलक्कड़ में देखने को मिली जहां उफनती नदी के दोनों किनारों पर पेड़ों में रस्सी बांधी गई है और इसी रस्सी के सहारे एक महिला को खींचकर उस पार से इस पार लाया गया. तूफानी बारिश में नदी के किनारे एक परिवार अपने घर में फंस गया था. परिवार में एक गर्भवती महिला भी थी. तेज धार में तैरकर निकलना मुमकिन नहीं था, और दूर दराज के इस इलाके में एनडीआरएफ की रेस्क्यू बोट अभी तक पहुंच नहीं पाई थी. पानी का स्तर पल पल बढ़ रहा था. फिर भी बचाव टीम ने रेस्क्यू की तरकीब अपनाकर परिवार की जान बचाई.
बारिश की आफत
पलक्कड़ से कम बड़ी आफत वायनाड में नहीं बरसी. पहले तो तूफानी बारिश ने आफत मचाई ही थी, लेकिन इसके बाद हुआ भूस्खलन मानो कयामत का पैगाम ही लेकर आ गया. गांव के गांव मलबे में तब्दील हो गए हैं. कई लाशें निकल चुकी हैं, लेकिन बचाव टीम ने हिम्मत नहीं हारी है. मलबे के पहाड़ के बीच जिंदगी की तलाश लगातार जारी है.
महाराष्ट्र की त्रासदी
केरल और कर्नाटक से अब थोड़ा ऊपर उठते हैं और आते हैं महाराष्ट्र में. महाराष्ट्र की त्रासदी ये है कि पहले वो प्रचंड सूखा झेलता है, फिर बाढ़. इस वक्त बाढ़ की ऐसी मार पड़ी है कि कोल्हापुर से सांगली तक लोगों को बचाने के लिए वीर जांबाजों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. बचाव दल में शामिल किसी जवान के लिए इससे बढ़कर क्या सम्मान होगा कि एक मासूम बच्ची उसको अहसान भरी सलामी दे. महाराष्ट्र में करीब हफ्तेभर की तबाही के बाद हालात थोड़ा सुधरे हैं. लेकिन गुजरात में अभी भी सैलाब ने तबाही मचा रखी है. उधर रेगिस्तानी धरती राजस्थान में भी इन दिनों लहरें मचल रही हैं.