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MOTN: CAA पर 41% और NRC पर 49% लोग मोदी सरकार के साथ, जानिए क्या है देश का मिजाज

इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे के मुताबिक सीएए को 41 फीसदी लोग सही मानते हैं, जबकि 26 फीसदी लोग इसको भेदभावपूर्ण बताते हैं. इसके अलावा 33 फीसदी लोग सीएए से अनजान हैं.

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पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (Courtesy- PTI)
पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (Courtesy- PTI)

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  • 32% अल्पसंख्यक बोले- CAA-NRC से नहीं कोई डर
  • अर्थिक मंदी और बेरोजगारी के मुद्दे पर घिरी सरकार

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर देश की जनता क्या सोचती है? इसको लेकर इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स ने 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्रों और 194 विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे किया. इसमें 12,141 लोगों से बात की गई और उनकी राय जानने की कोशिश की गई.

इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे के मुताबिक सीएए पर 41 फीसदी लोग मोदी सरकार के साथ हैं, जबकि 26 फीसदी लोग विरोध करते हैं और इसे भेदभावपूर्ण बताते हैं. इसके अलावा 33 फीसदी लोगों सीएए से अनजान हैं. हालांकि मोदी सरकार लोगों को सीएए के बारे में समझाने के लिए लगातार अभियान चला रही है.

एनआरसी के समर्थन में 49 फीसदी लोग

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वहीं, एनआरसी के समर्थन में 49 फीसदी लोग हैं, जबकि विरोध में 26 फीसदी लोग हैं. इसके अलावा 25 फीसदी लोगों ने इस पर अपनी राय नहीं रखी या फिर उनको इसकी जानकारी नहीं है. सर्वे के मुताबिक 32 फीसदी अल्पसंख्यकों का कहना है कि सीएए और एनआरसी से डर नहीं है. हालांकि ज्यादातर अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना है.

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आपको बता दें कि मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद दूसरी बार सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसा साहसिक कदम उठाया. हालांकि सत्ता में आने के सात महीने बाद ही मोदी सरकार को कई मोर्चों पर विपक्षी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. आर्थिक मंदी, जीडीपी में गिरावट और नौकरियों में गिरावट मोदी सरकार की गले की हड्डी बन गए.

इसके चलते बीजेपी के वोट बैंक में भी गिरावट आई. महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दोनों राज्यों की सत्ता से बीजेपी की विदाई हो गई. हालांकि हरियाणा में बीजेपी किसी तरह सरकार बचाने में कामयाब रही. इसके अलावा विपक्षी एजुटता ने भी बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा की.

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