वो पागलपन ही तो था, जब लगभग दो दशकों तक चांद के हर पहलू को जान लेने की चाहत में दर्जनों मिशन भेजने के प्रयास किए गए. एक दूसरे को कमतर दिखाने के लिए अमेरिका और सोवियत संघ दोनों एक-एक साल में 10-12 मिशन लॉन्च कर रहे थे. वह भी लगातार मिल रही असफलताओं के बावजूद. अजीब प्रतिस्पर्धा थी दोनों के बीच, जो थमने का नाम ही नहीं ले रही थी.
चांद को छूने और उसकी सतह पर उतरने के लिए रूस ने 23 सितंबर 1958 से 9 अगस्त 1976 तक करीब 33 मिशन भेजे. इनमें से 26 फेल हो गए. वहीं, अमेरिका ने 17 अगस्त 1958 से 14 दिसंबर 1972 तक करीब 31 मिशन भेजे. इनमें से 17 फेल हो गए. यानी अमेरिका के 45.17 फीसदी मिशन को सफलता मिली. वहीं, रूस को सिर्फ 21.21 प्रतिशत सफलता मिली. रूस जहां एक तरफ चांद के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ऑर्बिटर, सतह पर उतरने वाले लैंडर और सतह से टकराने वाले इंपैक्टर की तैयारी कर रहा था. वहीं, एक कदम आगे बढ़ते हुए अमेरिका ने चांद पर इंसानों को पहुंचा दिया. आइए जानते हैं कि चांद पर कितने मानव मिशन पहुंचे और वे कितने सफल रहे....
चांद पर कुल 6 मानव मिशन के जरिए 12 अंतरिक्ष यात्रियों ने कदम रखे
अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच चार साल में चांद पर 6 मानव मिशन भेजे. कुल 24 अंतरिक्ष यात्री चांद तक पहुंचे लेकिन 12 ही चांद की सतह पर उतर पाए. बाकी यात्री मदद के लिए ऑर्बिटर लेकर चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते रहे. तीन ने दो-दो बार चांद की यात्रा की.
अपोलो 11 - जब पहली बार चांद पर पड़े इंसानी कदम
20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ईगल नाम के लैंडर से अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन को चांद की सतह पर उतारा था. वहीं, इनके तीसरे साथी मिशेल कॉलिंस चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर से चक्कर लगा रहे थे. नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर पहला कदम रखा. बज एल्ड्रिन ने अमेरिकी झंडा लहराया. दोनों 21 घंटे 36 मिनट तक चांद पर रहे. इस दौरान 2 घंटे 31 मिनट तक वे यान से बाहर चांद की सतह 'सी ऑफ ट्रांक्विलिटी' पर रहे. चांद की तस्वीरे लीं, मिट्टी और पत्थर के सैंपल लिए.
अपोलो 12 - पहली बार चांद पर भूकंप रिकॉर्ड किया
19 नवंबर 1969 को नासा ने इंट्रेपिड नामक लैंडर से अंतरिक्ष यात्री चार्ल्स पीट कॉनरैड और एलेन बीन को चांद की सतह पर उतारा था. इनके तीसरे साथी रिचर्ड गॉर्डन चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर उड़ा रहे थे. ये लोग जहां उतरे थे उसे 'ओशन ऑफ स्टॉर्म' कहते हैं. इन अंतरिक्ष यात्रियों ने पहली बार चांद पर भूकंप को रिकॉर्ड किया था. ये लोग 1 दिन 7 घंटे 31 मिनट तक चांद पर रहे. इस दौरान, दोनों 7.45 घंटे यान से बाहर रहे.
अपोलो 14 - चांद पर दो गोल्फ बॉल छोड़कर आए थे
5 फरवरी 1971 को नासा ने एंटेरेस नामक लैंडर से अमेरिकी एस्ट्रोनॉट एलन बी. शेफर्ड और एडगर मिशेल को चांद की सतह पर 'फ्रा माउरो' नामक स्थान पर उतारा था. चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर को स्टुअर्ट रूसा उड़ा रहे थे. दोनों वैज्ञानिक चांद पर 1 दिन 9 घंटे 30 मिनट रहे. इस दौरान, दोनों 9.21 घंटे यान से बाहर रहे. शेफर्ड सतह छोड़ने से पहले वहां 2 गोल्फ बॉल छोड़ आए थे.
अपोलो 15 - पहली बार चांद पर इंसानों ने खुद चलाया रोवर
30 जुलाई 1971 को नासा ने फॉल्कन लैंडर से अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री डेविड स्कॉट और जेम्स इरविन को चांद की सतह पर 'हैडली रिले' नामक स्थान पर उतारा था. चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर को अल्फ्रेड वर्डेन उड़ा रहे थे. दोनों वैज्ञानिकों ने चांद पर 2 दिन 18 घंटे और 55 मिनट बिताए. इस दौरान, दोनों 18 घंटे 33 मिनट यान से बाहर रहे. डेविड ने चांद पर खुले कार जैसा दिखने वाला लूनर रोविंग व्हीकल चलाया.
अपोलो 16 - पहली बार चांद पर 27 किमी चलाया गया रोवर
21 अप्रैल 1972 को ओरियन लैंडर से अमेरिकी एस्ट्रोनॉट जॉन यंग और चार्ल्स ड्यूक को चांद की सतह पर 'डेसकार्टेस हाइलैंड्स' नामक स्थान पर उतारा था. इनके तीसरे साथी थॉमस मैटिंग्ली चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर में चक्कर लगा रहे थे. दोनों वैज्ञानिकों ने चांद पर 2 दिन 23 घंटे और 2 मिनट रुके थे. इस दौरान, दोनों 20 घंटे 14 मिनट यान से बाहर रहे. इस मिशन में चांद पर पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों ने 27 किमी रोवर चलाया.
अपोलो 17 - चांद पर सबसे ज्यादा 75 घंटे तक रुके रहे यात्री
11 दिसंबर 1972 को चैलेंजर लैंडर से अमेरिकी एस्ट्रोनॉट यूजीन सरनैन और हैरिसन जैक स्मिट को चांद की सतह पर 'टॉरस-लिट्रो' नामक स्थान पर उतारा था. इनके साथी रोनाल्ड इवंस ऑर्बिटर उड़ा रहे थे. दोनों वैज्ञानिक चांद पर 3 दिन 2 घंटे और 59 मिनट रहे. इस दौरान दोनों 22 घंटे 4 मिनट यान से बाहर रहे. चांद पर 30 किमी तक रोवर चलाकर सैंपल जमा किए.