अदालत ने पेरेंट्स को सलाह दी है कि वे रेप के झूठे मामले दर्ज न कराएं और यदि वे चाहते हैं कि उनके बच्चे भागकर शादी ने करें तो वे बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा दें. दिल्ली की एक अदालत ने एक युवक को बरी करते हुए यह कहा. युवक पर एक लड़की के अपहरण और रेप के आरोपों के साथ मामला चल रहा था.
अदालत ने कहा कि बिहार निवासी युवक के लिए यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा है कि उसे एक ऐसे मामले में गिरफ्तारी और मुकदमे का सामना करना पड़ा, जिसमें उसने कोई आपराधिक कृत्य किया ही नहीं था. अदालत उसे बरी करने के अलावा कोई और फैसला नहीं सुना सकती.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने कहा, 'आज जब मोबाइल फोनों, इंटरनेट, केबल टीवी आदि ने हमारे घरों के अंदर धावा बोल दिया है, ऐसे में माता-पिता पर अपने बच्चों को नैतिक मूल्य सिखाने की एक बड़ी जिम्मेदारी है, ताकि वे अच्छे नैतिक स्तर के अनुरूप व्यवहार करें और अच्छी-बुरी और लुभावनी चीजों के बीच फर्क कर सकें.'
आकर्षक दिखने वाली चीजें हमेशा अच्छी नहीं होतीं
न्यायाधीश ने कहा, 'उन्हें बताया जाना चाहिए कि आकर्षक दिखने वाली कोई चीज हमेशा अच्छी नहीं होती और जो अच्छा है, हर स्थिति में उसके साथ टिके रहना चाहिए. बलात्कार के झूठे आरोप लगाने से भागने या भागकर शादी कर लेने के डर पर काबू नहीं पाया जा सकता. इसके लिए बच्चों में अच्छे नैतिक मूल्य भरना, उनकी किशोरावस्था में उनपर पर्याप्त रोक और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जानी चाहिए.'
ये था पूरा मामला
अदालत ने ये शब्द एक ऐसे युवक को बरी करते हुए कहे, जिसे उस नाबालिग लड़की का अपहरण और बलात्कार करने का आरोपी बनाया गया था, जिससे वह प्रेम करता था और जिससे उसने शादी की थी.
लड़की की मां ने मार्च 2010 में अपनी 13 वर्षीय बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी. बाद में जब लड़की मिल गई तो उसने पुलिस को बताया कि उसकी उम्र 17-18 साल के बीच है और वह आरोपी के साथ बिहार अपनी मर्जी से गई थी.
इन दोनों ने बिहार में शादी कर ली थी और जब लड़की मिली तो वह गर्भवती भी थी. लड़की के माता-पिता की शिकायत पर युवक के खिलाफ अपहरण और बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया गया था.
लड़की ने अदालत को बताया था कि उसका परिवार उनके रिश्ते और शादी के खिलाफ था, क्योंकि ये दोनों अलग-अलग धर्मों से थे. इस वजह से उन्हें घर से भागना पड़ा.