उत्तर प्रदेश के रामपुर में 800 से ज्यादा वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने मंगलवार को इस्लाम धर्म अपना लिया. बताया जा रहा है कि ये लोग अपना घर टूटने से बचाने के लिए प्रशासन से संघर्ष कर रहे थे.
एक हफ्ते पहले इन लोगों ने कहा था कि अपना घर बचाने के लिए उनके पास यही चारा बचा है. इस काम के लिए उन्होंने अंबेडकर जयंती के मौके को चुना. अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने यह खबर दी है.
घरों पर लगाए गए थे लाल निशान
दरअसल, ये परिवार उस वक्त घबरा गए जब कुछ दिन पहले प्रशासन ने उनके घरों के आगे लाल निशान बना दिए. उनके मुताबिक, रामपुर के तोपखाना इलाके में बन रहे एक शॉपिंग मॉल तक आने वाली सड़क चौड़ी करने के लिए उनके घर ढहाए जाने थे. इन लोगों का कहना था कि मुसलमानों की बस्तियों में इससे संकरी सड़कें होती हैं, लेकिन वहां कभी अतिक्रमण नहीं हटाया जाता. हो सकता है कि इस्लाम धर्म कबूल करने से उनके घर भी बच जाएं.
रामपुर के जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश त्रिपाठी ने धर्मांतरण पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. दिन भर इलाके में तनाव का माहौल रहा. वाल्मीकि परिवारों ने खुद धर्मांतरण का ऐलान किया था. इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. बताया जा रहा है कि धर्मांतरण के लिए अमरोहा से जिस मौलवी को बुलाया गया था वह नहीं आया. ऐसे में लोगों ने खुद गोल टोपी लगाकर खुद के मुसलमान होने का ऐलान कर दिया.
म्युनिसिपल कर्मचारी ने दी धर्मांतरण की सलाह
गौरतलब है कि कुरान के मुताबिक, इस्लाम अपनाने के लिए कोई विशेष रिवाज, समारोह या धार्मिक नेता की मौजूदगी जरूरी नहीं होती. बस 'नीयत' होनी चाहिए, फिर कलमा पढ़ा जाता है और यह माना जाता है कि मोहम्मद अल्लाह के आखिरी पैगंबर थे. यहां तक कि एक निश्चित उम्र के बाद खतना भी जरूरी नहीं माना जाता.
अखबार ने वाल्मीकि बस्ती के एक निवासी भीम अनार्य के हवाले से लिखा है कि एक म्युनिसिपल कर्मचारी ने कुछ दिन पहले उन्हें घर खाली करने को कहा था. जब लोगों ने ऐसा करने से मना किया तो उसने घर बचाने के लिए धर्म बदलने की सलाह दी. भीम अनार्य के मुताबिक, 'हमें यही सही लगा, क्योंकि आस-पास में कई मुसलमानों के मकान टूटने से बच गए थे.'