2जी के साथ-साथ कोयला घोटाला मामले में भी सरकार फंसती नजर आ रही है. स्टैंडिंग कमेटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने जनता को धोखा दिया. ड्राफ्ट रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अवैध तरीके से खदानों का आवंटन हुआ.
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कोल ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरती गई. रिपोर्ट के मुताबिक 1993 से 2010 के बीच कोल ब्लॉक का आवंटन अवैध तरीके से किया गया और पद का दरुपयोग कर कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया गया. इसके मुताबिक 2005 के बाद कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए निगरानी हेतु व्यवस्था बिल्कुल विफल थी.
कोयला घोटाला और टूजी पर जेपीसी की रिपोर्ट को लेकर बीजेपी बेहद नाराज है. पार्टी की ओर से साफ किया गया है कि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री इस्तीफा दे. साथ ही कानून मंत्री अश्विनी कुमार को तुरंत पद से हटाया जाए. इसके अलावा बीजेपी इस बात से भी नाराज है कि टूजी मामले पर जेपीसी की रिपोर्ट में वाजपेयी के नाम क्यों हैं.
दूसरी ओर संभावना है कि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा विवादित कोयला खदान आवंटन की सीबीआई की जांच रिपोर्ट केन्द्रीय कानून मंत्री अश्वनी कुमार के साथ साझा करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेंगे लेकिन साथ ही स्पष्ट करेंगे कि दस्तावेज में कोई परिवर्तन नहीं किया गया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीबीआई प्रमुख न्यायालय को यह भी बताएंगे कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने उस वक्त अपनी हद पार कर दी जब उन्होंने कहा कि राजनीतिक हलके में रिपोर्ट को किसी ने नहीं देखा है. न्यायालय के निर्देशानुसार सिन्हा अपना हलफनामा 26 अप्रैल को देंगे.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल द्वारा न्यायालय को यह बताए जाने के बाद कि कोयला खदान आवंटन में हुई कथित अनियमितताओं की रिपोर्ट किसी के साथ साझा नहीं की गई है, सिन्हा अपना हलफनामा दायर करने के लिए निजी वकील यू. ललित की सेवा लेंगे.
एक अंग्रेजी अखबार के हवाले से खबर आई थी कि सीबीआई सुप्रीम कोर्ट को बताने वाली है कि जांच रिपोर्ट में केंद्रीय कानून मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने बदलाव करवाए हैं. बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने इसे बेहद गंभीर बताया था और आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बचाने की एक कोशिश का हिस्सा था.