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महाभियोग के खिलाफ थे ज्यादातर कानून विशेषज्ञ, बताया था राजनीति प्रेरित कदम

कानूनी सलाह के बाद राज्यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने महाभ‍ियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. देश के ज्यादार कानून-संविधान विशेषज्ञ इसके खिलाफ थे और उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया था.

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CJI दीपक मिश्रा के ख‍िलाफ कांग्रेस लेकर आई थी महाभ‍ियोग
CJI दीपक मिश्रा के ख‍िलाफ कांग्रेस लेकर आई थी महाभ‍ियोग

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राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति के सामने ये प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कानूनी सलाह के बाद वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. देश के ज्यादार कानून-संविधान विशेषज्ञ इसके खिलाफ थे और उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया था.

संविधान के खिलाफ है महाभियोग!

संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने इसे 'पूरी तरह से दलगत राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा था कि वेंकैया नायडू को इस पर तत्काल निर्णय लेते हुए नोटिस को खारिज कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का टर्म इम्पीचमेंट गलत है. केवल राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा महाभियोग लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 124 के तहत किसी जज को सिर्फ दुराचरण या साबित हो चुकी अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है. संविधान में जज के खिलाफ महाभियोग लाने जैसी कोई बात नहीं है. जजों को हटाने की कई प्रक्रियाएं हैं, जिनका पालन किया जाना चाहिए. यह नोटिस राजनीति से प्रेरित लगती है. इससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है.'

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सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का भयावह काला दिन!

वरिष्ठ एडवोकेट और न्यायविद फली एस नरीमन ने इसे सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का भयानक काला दिन बताया. उन्होंने कहा, 'इससे न केवल जनता का विश्वास कम होगा, बल्कि इससे सत्तारूढ़ पार्टी भी इस रास्ते पर चल सकती है कि जिस जज का कोई निर्णय पसंद न आए, उसके खिलाफ ऐसा ही कदम उठाए. यह भयावह काला दिन है. आपके पास यदि कोई पुख्ता सबूत है तो उसे पेश करें. किसी चीफ जस्ट‍िस के खिलाफ महाभि‍योग लाने के लिए असाधारण महत्वपूर्ण आधार होने चाहिए.'

जस्ट‍िस चेलमेश्वर भी थे महाभियोग के खिलाफ

सुप्रीम कोर्ट के जस्ट‍िस चेलमेश्वर भी इस महाभियोग के खिलाफ थे. गौरतलब है कि जस्ट‍िस चेलमेश्वर उन चार जजों में शामिल थे जिन्होंने 12 जनवरी को सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था. उन्होंने कहा कि महाभियोग किसी समस्या का हल नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता कि देश को महाभियोग से इतना प्रेम क्यों है. महाभियोग हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता. ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए अन्य रास्ते हैं.'

पूर्व जस्ट‍िस ने बताया 'आत्मघाती' कदम

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी ने इस महाभियोग को 'आत्मघाती और खतरनाक' बताया था. उन्होंने कहा, 'यह उन राजनीतिक दलों के लिए आत्मघाती है जो ऐसे महाभियोग लेकर आए हैं.' उन्होंने दावा किया, 'प्रथम दृष्टया ऐसा कोई तथ्य नहीं दिखता है जिससे चीफ जस्ट‍िस के किसी तरह के दुर्व्यवहार को साबित किया जा सके. अनियमितता को दुर्व्यवहार नहीं कहा जा सकता. न्यायपालिका को राजनीति में घसीटा जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.'  

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सोली सोराबजी भी महाभियोग के पूरी तरह से खिलाफ थे

सोली सोराबजी ने कहा कि, 'मैं इसके पूरी तरह से खिलाफ हूं.' उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया. उनके अलावा हाईकोर्ट के पूर्व जजों एस.एन. धींगरा, अजित कुमार सिन्हा, वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने भी इसे राजनीति से प्रेरित बताया. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में अटॉर्नी जनरल रह चुके सोराबजी ने कहा, 'यह न्याय‍पालिका की स्वतंत्रता के लिहाज से सबसे बदतर चीज है. इससे लोगों का न्यायपालिका में भरोसा डगमगा जाएगा.'

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) टी. एस. ठाकुर ने भी इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा, 'यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि सर्वोच्च न्यायपालिका को ऐसे संकट से गुजरना पड़ रहा है.'

(समाचार एजेंसियों के इनपुट के साथ)

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