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MP में ISI जासूसी रैकेट की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच - AAP

मध्य प्रदेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम कर रहे कथित जासूसों के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है. आम आदमी पार्टी ने इस जासूसी रैकेट के खुलासे के बाद पूरे मामले की जांच मध्य प्रदेश एटीएस की बजाए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करवाने की मांग की है.

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ISI के लिए जासूसी करने वालों में बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ता का भी नाम
ISI के लिए जासूसी करने वालों में बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ता का भी नाम

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मध्य प्रदेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम कर रहे कथित जासूसों के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है. आम आदमी पार्टी ने इस जासूसी रैकेट के खुलासे के बाद पूरे मामले की जांच मध्य प्रदेश एटीएस की बजाए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करवाने की मांग की है.

पिछले साल नवंबर में जम्मू और कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में सतविंदर और दादू नाम के दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी हुई थी और इन आतंकवादियों ने पूछताछ में बताया कि बीजेपी शासित मध्य प्रदेश से उन्हें सेना के मूवमेंट से जुड़ी अहम जानकारियां मिलती थीं. इसके बाद से ISI मध्य प्रदेश में बैठे कुछ लोगों को हर महीने बहुत मोटी रकम भेजता है.

इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष का आरोप है कि मध्य प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड ने छापेमारी में जिन 11 लोगों को पकड़ा, उनमें से ज्यादातर लोग बीजेपी के नेता, उनके रिश्तेदार, विश्व हिन्दू परिषद् के पदाधिकारी और आरएसएस के लोग हैं.

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AAP ने बीजेपी से पूछे चार सवाल
1. बीजेपी साफ़ करे कि पार्टी और आरएसएस में ISI की कितनी गहरी घुसपैठ है. भाजापा शासित सरकारों में ISI का किस हद तक दखल है?
2. बीजेपी बताए कि ISI जासूसी रिंग के मुखिया ध्रुव सक्सेना और बलराम आरएसएस और बीजेपी के जिन 200 से ज्यादा नेताओं के संपर्क में थे, वे कौन हैं?
3. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय साफ़ करें कि जासूसी रिंग के मुखिया बलराम और ध्रुव सक्सेना से उनके कितने गहरे और पुराने संबंध थे.
4. ISI के जासूसों के लैपटॉप में बीजेपी के कार्यक्रमों और रैलियों के खर्च के डिटेल मिले हैं. ये भी सामने आया है कि ISI ने इन लोगों को हर महीने लाखों रुपये का भुगतान किया. बीजेपी बताए कि क्या उसके कार्यक्रमों का खर्च ISI उठा रही है?

आम आदमी पार्टी का कहना है कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला है. इसलिए पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गहन जांच की जाए.

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