प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और एक गांव को गोद लेने की योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए सांसदों के पर्याप्त फंड ही नहीं हैं. यही वजह है कि सांसदों का एक वर्ग इन योजनाओं के लिए अलग से फंड की मांग कर रहा है.
नरेंद्र मोदी जहां सांसदों से इन योजनाओं के लिए सांसद क्षेत्रीय विकास निधि के तहत सालाना मिलने वाले पांच करोड़ रुपये को खर्च करने पर जोर देते रहे हैं, वहीं सांसदों का कहना है कि ऐसा किए जाने से उनके क्षेत्र में पहले से जारी विकास कार्यों पर असर पड़ेगा.
सांसद क्षेत्रीय विकास निधि के तहत प्रत्येक सांसद को प्रति वर्ष पांच करोड़ रुपये मिलते हैं. इसके जरिए सांसद अपनी इच्छा के अनुरूप विकास कार्य के लिए डीएम को निर्देश देते हैं. राज्यसभा सदस्य जिस राज्य से चुने जाते हैं उस राज्य के एक या एक से अधिक जिलों में विकास कार्य करवा सकते हैं.
कई दलों के सांसदों ने इस पर खुलकर बात की. वहीं बीजेपी सांसदों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. संसदीय सचिवालय के सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा उपाध्यक्ष एम. थंबीदुरैई ने अगले हफ्ते सभी सांसदों की बैठक बुलाई है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के सांसद एमबी राजेश ने कहा, 'सांसद कोष से जो विकास कार्य शुरू किए गए हैं वही पूरा करना कठिन होता है. अगर एक गांव को गोद लेकर उसका विकास करना है तो अन्य विकास कार्य का क्या होगा?' उन्होंने कहा कि यही मुद्दे स्वच्छता अभियान के लिए भी है, जहां सांसदों से अपेक्षा है कि वे अपने क्षेत्र के स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में शौचालयों का निर्माण करेंगे.
लोकसभा और राज्यसभा में कुल मिलाकर वर्तमान में लगभग 900 सांसद हैं. जबकि 2001 की जनगणना के अनुसार देश में 6,38,596 गांव हैं.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद बालचंद्र मुंगेकर ने कहा, 'नई स्कीम को छोड़ दीजिए यहां तो सामान्य विकास कार्य के लिए भी वर्तमान सांसद निधि पर्याप्त नहीं है.'
राजेश ने कहा कि सांसदों ने सांसद निधि समिति के अध्यक्ष थंबीदुरैई से इस मुद्दे पर बात की है और मांग की है कि या तो कोष में वृद्धि की जाए या इसके लिए अलग से कोष बनाया जाए.
प्रधानमंत्री ने जयप्रकाश नारायण की जयंती (11 अक्टूबर) पर सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत सभी सांसदों को एक गांव गोद लेना है और उसका 2016 तक विकास करना है. इसके बाद 2019 तक दो और गांव क विकास कर आदर्श गांव बनाना है. इस तरह 2019 तक 25 हजार गांव आदर्श गांव बन जाएंगे. अधिकतर सांसदों ने गांवों की पहचान कर ली है, लेकिन समस्या धन की आ रही है.
तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने कहा कि उनकी पार्टी के सांसदों ने इस योजना में फिलहाल हिस्सेदारी नहीं की है, क्योंकि कोष ही नहीं है. मोदी ने इससे पहले स्वस्छता अभियान का गांधी जयंती (2 अक्टूबर) पर शुरुआत की थी.
---इनपुट IANS से