छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कथित साले संजय सिंह के प्रमोशन को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाये हैं.
कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह मध्य प्रदेश में अपनी नौकरी की शुरुआत क्लास थ्री कर्मचारी के रूप में की थी, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद उन्हें नियम विरुद्ध पर्यटन विभाग में 3 साल में ही जी.एम. बना दिया गया. हालांकि मुख्यमंत्री के कथित साले को लेकर कांग्रेस के आरोपों के बाद टूरिज्म मिनिस्टर ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है.
कांग्रेस के मुताबिक मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह पर आरोपों की फेहरिस्त लम्बी है, जिसकी विभागीय जांच चल रही है. पार्टी अध्यक्ष भूपेश बघेल के मुताबिक संजय सिंह ने 1986 में पर्यटन विभाग में क्लास थ्री कर्मचारी से अपनी नौकरी की शुरुआत की, लेकिन जिस तरह से साल दर साल उनका प्रमोशन हुआ उससे कई सवाल खड़े होने लगे हैं. साल 1993 तक वो सीनियर टूरिस्ट अफसर तक ही पहुंच पाये थे जो क्लास टू की पोस्ट है.
हालांकि जैसे ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का विभाजन हुआ और वो छत्तीसगढ़ आये उनकी तरक्की की स्पीड अचानक बढ़ गई. 2005 में उन्हें क्लास टू अफसर से सीधे प्रमोट कर छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग का डीजीएम बना दिया गया, जो की क्लास वन की पोस्ट है. इसके बाद 2008 में उन्हें जी.एम. पद से नवाजा गया. साल 2010 में मुख्यमंत्री रमन सिंह के हस्ताक्षर से उन्हें ट्रांसपोर्ट विभाग में बतौर जॉइंट कमिश्नर भेज दिया गया. 2013 तक संजय सिंह ट्रांसपोर्ट विभाग में ही रहे. 2013 में दोबारा संजय सिंह को पर्यटन विभाग में जीएम के पद पर पोस्टिंग दे दी गई, जहां वो अब भी नौकरी कर रहे हैं.
संजय सिंह का अपनी सफाई में कहना हैं कि उन्हें कभी भी अनुचित प्रमोशन नहीं मिला और न ही उन्होंने मुख्यमंत्री से रिश्तेदारी का दावा कर कोई फायदा उठाया. उनके मुताबिक उनके प्रमोशन का मामला बिलासपुर हाई कोर्ट में लंबित है. बावजूद इसके उन्हें बेवजह निशाना बनाया जा रहा है.
दरअसल संजय सिंह पर उस समय ऊंगली उठी जब छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में पदस्थ अपर सचिव ने एक शिकायतकर्ता के पत्र को आधार बनाते हुए सरकारी नोटशीट में साफतौर पर 'मुख्यमंत्री के साले का कारनामा' शब्द का इस्तेलाम करते हुए उस नोटशीट को टूरिज्म विभाग में भेज दिया. 'मुख्यमंत्री के साले के कारनामे वाले' सम्बोधन के चलते मामले ने तूल पकड़ लिया. यही नही संजय सिंह पर 6 करोड़ रूपये के गैर जरुरी काम करवाने के मामले में भी मंत्रालय की ओर से नोटिस जारी हो गया.
इन सरकारी दस्तावेजों के उजागर होने के बाद संजय सिंह कांग्रेस के निशाने पर आ गए. हालांकि उनका यह भी कहना है कि उनका मुख्यमंत्री रमन सिंह से कोई सीधे रिश्तेदारी नहीं है. चूंकि वे मुख्यमंत्री की पत्नी वीणा सिंह के गांव के हैं, इसलिए लोग उन्हें मुख्यमंत्री का साला-साला कहते हैं.
उधर मामले के तूल पकड़ने के बाद विभागीय मंत्री ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है. दूसरी ओर मुख्यमंत्री रमन सिंह इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है. मामले के तूल पकड़ने के बाद उम्मीद की जा रही है कि 'मुख्यमंत्री के कथित साले' को लेकर रमन सिंह खुद रहस्यों पर से पर्दा उठाएंगे.