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मुकुल रॉय: ममता की ‘दोस्ती’ से ‘दुश्मनी’ तक ऐसी रही राजनीतिक पारी

पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में टीएमसी से 6 साल के लिए बाहर किए गए मुकुल रॉय कभी ममता बनर्जी के बाद नंबर दो की हैसियत रखते थे. अब उन्होंने टीएमसी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. मुकुल 1998 से राजनीति में हैं.

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मुकुल रॉय (फाइल फोटो)
मुकुल रॉय (फाइल फोटो)

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पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में टीएमसी से 6 साल के लिए बाहर किए गए मुकुल रॉय कभी ममता बनर्जी के बाद नंबर दो की हैसियत रखते थे. अब उन्होंने टीएमसी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. मुकुल 1998 से राजनीति में हैं.

यूथ कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत

17 अप्रैल 1954 को पश्चिम बंगाल में जन्मे मुकुल रॉय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत यूथ कांग्रेस के साथ की थी. उस दौर में ममता बनर्जी भी यूथ कांग्रेस में ही थीं. तभी से मुकुल ममता के करीबियों में शामिल हो गए.

दिल्ली में रहे टीएमसी का चेहरा

जनवरी 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनाई. मुकुल रॉय उनकी पार्टी के फाउंडिंग मेंबर रहे. उनकी काबिलियत को देखते हुए ममता ने 2006 में मुकुल को पार्टी महासचिव बना दिया. इस दौरान दिल्ली में टीएमसी की ओर से मुकुल रॉय ही सारा कामकाज संभालते रहे. एक तरह से दिल्ली में टीएमसी की नुमाइंदगी मुकुल रॉय ही किया करते थे.

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2006 में ममता ने राज्यसभा भेजा

2001 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुकुल जगतदल विधानसभा सीट से चुनाव में उतरे. हालांकि इसमें उन्हें जीत नहीं मिली. वे दूसरे नंबर पर रह गए. ममता ने 2006 में मुकुल को पार्टी कोटे से राज्यसभा में भेज दिया. 28 मई 2009 से 20 मार्च 2012 तक मुकुल राज्यसभा में टीएमसी के नेता रहे. यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में मुकुल मंत्री बनाए गए. बाद में ममता बनर्जी ने इस्तीफा देकर मुकुल को रेल मंत्री बनवा दिया.

दूसरे नंबर की थी हैसियत

टीएमसी में कभी ममता बनर्जी के बाद मुकुल रॉय दूसरे नंबर की हैसियत रखते थे. शारदा चिट फंड घोटाले के बाद से ममता बनर्जी से उनकी दूरियां बढ़ती गईं. 2015 में ममता ने मुकुल को पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव पद से और राज्यसभा में पार्टी नेता पद से हटा दिया. तभी से कयास लगाए जाने लगे थे कि मुकुल टीएमसी से अलग हो सकते हैं.

चुनावी प्रबंधन में माहिर

मुकुल रॉय चुनावी प्रबंधन के माहिर माने जाते हैं. रॉय बंगाल में टीएमसी के बूथ स्तर तक का प्रबंधन संभालते थे. बंगाल की सत्ता के सिंहासन पर ममता के दो बार काबिज होने के पीछे मुकुल रॉय के चुनावी प्रबंधन का ही कमाल था. मुकुल रॉय खासतौर से टीएमसी के संगठनात्मक क्षमता के लिए जाने जाते हैं.

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बेटा है टीएमसी विधायक

25 सितंबर 2017 को मुकुल ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया. मुकुल रॉय के राज्यसभा का कार्यकाल 2018 में खत्म होगा. उनकी पत्नी कृष्णा रॉय हैं. बेटे शुभ्रांशु रॉय भी टीएमसी में हैं. वे दो बार विधायक रहे हैं.

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