मुलायम की धमकी, मनमोहन का भरोसा और बीजेपी का अनुमान. आखिर कबतक चलेगी ये सरकार, क्योंकि ये तो सच है कि अगर मुलायम ने समर्थन वापस लिया तो यूपीए-2 सरकार 14 के बहुमत से सीधे 8 के अल्पमत में आ जाएगी. लेकिन सवाल है कि क्या मुलायम इस विकल्प को आजमाने के लिए तैयार हैं या फिर वो अभी मौक़े को ज़ुबानी तौर पर ही आजमा रहे हैं?
सरकार तो पांच साल के लिए चुनी जाती है. फिर मनमोहन सिंह को डरबन से दिल्ली लौटते ही ये बताने की जरूरत क्यों पड़ी कि उनकी सरकार पांच साल पूरे करेगी. इसकी वजह मुलायम सिंह का चुनावी अल्टीमेटम है जो समर्थन तो दे रहे हैं लेकिन साथ में ये भी कहते चल रहे हैं कि नवंबर में नई सरकार की तैयारी कीजिए.
बीजेपी ने बढ़ाई सरकार की धड़कन
कांग्रेस की धड़कन बीजेपी ने भी बढ़ा दी है. वो भी 2014 की लड़ाई 2013 में ही लड़ने की तैयारी में जुटी हुई है. पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद मनमोहन सिंह की तीसरी ताजपोशी को अधूरी महत्त्वाकांक्ष का नाम दे रहे हैं. लेकिन बीजेपी शरद यादव को ही नहीं समझा पा रही है. शरद यादव ने साफ कहा कि कांग्रेस ऐसे ही नहीं इतने सालों से सरकार चला रही है, चला ले जाएगी.
नवंबर में चुनाव की तैयारी में हैं नेता जी
सरकार चलेगी तो लेकिन कबतक. एक बार फिर से मुलायम सिंह यादव पर लौटिए. नेता जी नवंबर की तैयारी में जुटे हैं और उनकी समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि अभी जैसे चल रहा है वैसे ही चलाते रहेंगे.
मतलब जज़्बात कुछ, ज़ुबान कुछ. समाजवादी पार्टी समर्थन वापस लेगी नहीं और बिना इसके सरकार हिलेगी नहीं. कांग्रेस को फूटी आंख न देखने वाली कम्युनिस्ट पार्टी तक को लग रहा है कि सरकार चलती रहेगी.
लोकसभा के मौजूदा अंकगणित पर नजर डालें
542 सदस्यों वाले सदन में अध्यक्ष को छोड़ दें तो बहुमत का जादुई आंकड़ा 271 का बनता है. इसमें कांग्रेस की ताक़त सिर्फ 203 की है. एनसीपी के 9, आरएलडी के 5 नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3 और 7 अन्य को मिलाकर यूपीए का अपना खाता सिर्फ 227 तक पहुंचता है.
अब देखिए कि जब यूपीए सिर्फ 227 सांसदों के कुनबे का नाम है तो मनमोहन सिंह की सरकार इतने आत्मविश्वास के साथ उड़ कैसे रही है. हम बताते हैं कैसे.
यूपी के भरोसे
मुलायम सिंह के 22, मायावती के 21, लालू-देवगौड़ा के 3-3 और अन्य 9 सांसद बाहर से बहुमत बनाए हुए हैं. इसी 58 के तोते में यूपीए की जान है. और इस तोते की जान है मुलायम सिंह के हाथ में. मुलायम की साइकिल ने ने हाथ छोड़ा तो सरकार गई. क्योंकि 58 से 22 जाते ही उधार का आंकड़ा 36 पर पहुंच जाएगा और समर्थन 285 से 263 पर. मतलब बहुमत से 8 कम.
इस आठ में सरकार का ठाठ धरा रह जाएगा. लेकिन सरकार बेफ़िक्र है और सरकार चलाने वाले बेचैन. इसी बेफिक्री और बेचैनी से ये सवाल खड़ा होता है कि सरकार कबतक.