scorecardresearch
 

26/11 हमला भारत, अमेरिका, इंग्लैंड की खुफिया एजेंसियों की नाकामी

मुंबई में लश्कर आतंकवादी हमला नहीं कर पाते, अगर तीन देशों अमेरिका, इंग्लैंड और भारत की खुफिया एजेंसियां चाक चौबंद रहतीं.

Advertisement
X
Mumbai attacks
Mumbai attacks

मुंबई में लश्कर आतंकवादी हमला नहीं कर पाते, अगर तीन देशों अमेरिका, इंग्लैंड और भारत की खुफिया एजेंसियां चाक चौबंद रहतीं. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में मुंबई में आतंकी हमले कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के जरिए निगरानी की विफलता के कारण हुई. उसके मुताबिक मुबंई हमलों से कंप्यूटर निगरानी की ताकत का पता तो चलता है लेकिन यह भी पता चलता है कि कंप्यूटरों के जरिये निगरानी अभेद नहीं हो सकती.

Advertisement

उसका कहना है कि इस कारण ही जासूसी की दुनिया की इतनी बड़ी विफलता हुई. इन तीनों देशों की खुफिया एजेंसियों ने कंप्यूटरों के माध्यम से प्राप्त उच्च क्वालिटी की खुफिया सूचनाओं को एक जगह इकट्ठा करके उससे निष्कर्ष निकालने में कोताही बरती. अगर वे ऐसा करते तो उन्हें काफी कुछ मालूम हो जाता और वे इस भयानक हमले में बाधा डाल सकते.

पेंटागन के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन द्वारा लीक किए गए वर्गीकृत दस्तावेज के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं. लेकिन अगर उन पर बारीकी से ध्यान नहीं दिया गया और उसे खुफिया सूचनाओं के साथ नहीं मिलाया गया तो जरूरी प्रमाण गुम हो जाएंगे.

लश्कर के आतंकी शाह की निगरानी
रिपोर्ट में लश्कर के आतंकी और योजनाकार ज़र्रार शाह की ऑनलाइन गतिविधियों की जानकारी ब्रिटिश और भारतीय खुफिया एजेंसियों को थी. वे उसकी हरकतों पर नज़र रख रहे थे. पाकिस्तान में बैठा वह आंतकी काफी कुछ कर रहा था लेकिन ये जासूसी एजेंसियां उसकी गतिविधियों को एक सूत्र में नहीं पिरो पाईं जिसका नतीजा मुंबई हमलों के रूप में हुआ.

Advertisement

2008 की सर्दियों में शाह पाकिस्तान के उत्तरी इलाकों के पहाड़ों से अरब सागर तक छुप-छुप कर मुंबई में कत्ले आम की साजिश रचता रहा. हालांकि सितंबर, 2008 में ब्रिटिश एजेंसियों को उसकी भनक लग गई थी और वे उसके इंटरनेट सर्च तथा संदेशों को ट्रैक करने गए थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि न केवल ब्रिटिश एजेंसियों बल्कि भारतीय खुफिया एजेंसियों को उसकी भनक लग गई थी. हालांकि अमेरिका ऐसी किसी तरह की निगरानी नहीं कर रहा था लेकिन उसे इस साजिश की बू अपने इलेक्ट्रॉनिक तथा मानवीय सूत्रों से लग गई थी. उसने भारतीय खुफिया एजेंसियों को हमले के पहले कई बार आगाह भी किया. लेकिन इसकी बारीकी और लक्ष्य को समझने में वह सफल नहीं रहे.

Advertisement
Advertisement