मुथैया मुरलीधरन की जादूगरी से फॉलोआन के लिये मजबूर हुए भारत का शीर्ष क्रम दूसरी पारी में भी लेसिथ मालिंगा के तूफान से टक्कर लेने में असफल रहा जिससे श्रीलंका ने पहले टेस्ट क्रिकेट में जीत के साथ अपने दिग्गज आफ स्पिनर को स्वर्णिम विदाई देने की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाये.
अपना अंतिम टेस्ट मैच खेल रहे मुरलीधरन ने पहली पारी में 63 रन देकर पांच विकेट लिये जिससे भारतीय टीम 274 रन पर सिमट गयी. पहली पारी में 244 रन से पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में भी भारत का शीर्ष क्रम लड़खड़ा गया तथा सचिन तेंदुलकर (85) और राहुल द्रविड़ (44) के बीच शतकीय साझेदारी के बावजूद वह चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक पांच विकेट पर 181 रन बनाकर पारी की हार से बचने के लिये संघर्ष रहा है.
श्रीलंका ने अपनी पहली पारी आठ विकेट पर 520 रन बनाकर समाप्त घोषित की थी और भारत को पारी की हार से बचने के लिये अब भी 63 रन की दरकार है. मालिंगा ने 33 रन देकर तीन विकेट लिये हैं जिसमें तेंदुलकर और द्रविड़ का विकेट भी शामिल हैं जबकि मुरलीधरन ने दिन का खेल समाप्त होने से ठीक पहले युवराज सिंह को आउट किया जिससे वह 800 विकेट की जादुई संख्या के करीब पहुंच गये हैं. उनके नाम पर अब 798 विकेट दर्ज हैं. {mospagebreak}
श्रीलंकाई टीम ने मुरलीधरन की विदाई को यादगार बनाने के लिये अब तक अपनी पूरी प्रतिबद्धता दिखायी है लेकिन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय टीम उसकी चुनौती का सामना करने में असफल रहे. पारी की हार से बचने के लिये भारतीयों की उम्मीद अब वीवीएस लक्ष्मण (नाबाद 09) और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर टिकी रहेगी.
भारत की दूसरी पारी की शुरुआत खराब रही. उसने अपने सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर (शून्य) और पहली पारी में 109 रन की शतकीय पारी खेलने वाले वीरेंद्र सहवाग (31) के विकेट जल्दी गंवा दिये. गंभीर लगातार दूसरी पारी में असफल रहे और लेसिथ मालिंगा ने उन्हें पहले ओवर में ही आउट कर दिया. इस पारी में तो वह खाता खोले बिना ही विकेटकीपर को कैच देकर पवेलियन लौट गये.
मालिंगा ने अपने अगले ओवर में सहवाग को भी आउट कर दिया था लेकिन वह नोबाल निकल गयी. वह इसका फायदा नहीं उठा पाये और लगातार दूसरी पारी में चनाका वेलेगेदारा की बाहर जाती गेंद को सीमा रेखा पार भेजने के लालच में पवेलियन लौटे. इस बार हालांकि महेला जयवर्धने ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जिन्होंने सहवाग के करारे शाट को बैकवर्ड प्वाइंट पर हवा में उछलते हुए कैच में तब्दील किया. {mospagebreak}
तेंदुलकर और द्रविड़ ने मुरलीधरन और रंगना हेराथ का आराम से सामना किया और तीसरे विकेट के लिये 119 रन जोड़कर सर्वाधिक बार शतकीय साझेदारी निभाने के अपने रिकार्ड को 18 तक पहुंचाया. तेंदुलकर विशेषकर खुलकर खेले और कई आकषर्क शाट जमाये जिसमें मुरलीधरन की गेंद पर लांग आन पर लगाया गया छक्का भी शामिल है. द्रविड़ ने धीमी बल्लेबाजी की इस बीच टेस्ट मैचों में सर्वाधिक गेंद खेलने का रिकार्ड भी बनाया.
मुरलीधरन को टर्न तो मिल रहा था लेकिन वह पहली पारी जैसा कमाल नहीं दिखा पा रहे थे. कुमार संगकारा ने ऐसे समय में फिर से मालिंगा को गेंद सौंपी जिन्होंने अपने लगातार ओवर में इन दोनों बल्लेबाजों को आउट करके भारतीय खेमे में खलबली मचा दी. रोशनी कम होती जा रही थी और अंपायरों ने लाइटमीटर देखकर एक और ओवर करवाने का फैसला किया जो भारत के लिये घातक साबित हुआ. मुरलीधरन की तेज से स्पिन लेती गेंद युवराज के बल्ले से होती हुई पहली स्लिप में महेला जयवर्धने के सुरक्षित हाथों समा गयी. {mospagebreak}
मुरलीधरन का जादू पहली पारी में भी देखने को मिला जब उन्होंने रिकार्ड 67वीं बार पारी में पांच या अधिक विकेट लिये. भारतीय पारी का आकषर्ण सहवाग की शतकीय पारी रही लेकिन वह अपना 20वां टेस्ट शतक पूरा करने के तुरंत बाद पवेलियन लौट गये. युवराज (52) और धोनी (33) ने कुछ देर संघर्ष किया लेकिन वे टीम को फॉलोआन से नहीं बचा सके.
पिछले साल इसी मैदान पर नाबाद 201 रन की पारी खेलने वाले सहवाग ने सुबह तेज शुरूआत की उन्होंने वेलेगेदारा की गेंद पर दो चौके जड़ने के बाद एंजेलो मैथ्यूज की गेंद भी दो बार सीमा रेखा तक पहुंचाकर केवल 108 गेंद में 18 चौकों और एक छक्के की मदद से शतक पूरा किया.
मुरलीधरन ने धोनी को बोल्ड और युवराज को स्लिप में महेला जयवर्धने के हाथों कैच कराया. युवराज ने 64 गेंद का सामना करते हुए आठ चौके और एक छक्का मारा. मुरलीधरन ने इसके बाद उन्होंने प्रज्ञान ओझा और अभिमन्यु मिथुन को भी आउट करके दर्शकों को रोमांचित किया.