भारत में बसे रोहिंग्या मुसलमानों को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है, लेकिन विपक्षी दलों समेत कई संगठन रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में सामने आ रहे हैं. इसी क्रम में बिहार के दरभंगा में रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में कई मुस्लिम संगठन सड़कों पर उतरे और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के बैनर के तले हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न केवल सड़कों पर प्रदर्शन किया, बल्कि रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी भी की. सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पूरे मसले पर अपनी खामोशी तोड़ने के लिए कहा और म्यांमार में हो रहे मुसलमानों के कत्लेआम और रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर जल्द कोई बीच का रास्ता निकालने की मांग की.
रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर मोदी सरकार इस मसले का समाधान नहीं निकालती है तो वे लोग ना केवल दिल्ली में अपनी आवाज उठाएंगे बल्कि संयुक्त राष्ट्र में भी इस मुद्दे को लेकर जाएंगे.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एक वक्त में बौद्ध धर्म के लोग शांति के दूत के रुप में देखे जाते थे, लेकिन म्यांमार में इन लोगों ने आतंक मचा रखा है और वहां पर रह रहे मुसलमानों का कत्लेआम कर रहे हैं.
केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए प्रदर्शनकारियों ने दरभंगा के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा. रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में इंसाफ मंच के नेता नियाज अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार साजिश के तहत 40000 रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर भेजने की कोशिश कर रही है.