मुस्लिम धर्मगुरुओं को नए पीएम नरेन्द्र मोदी के बुलावे का इंतजार है ताकि उनसे वो अपने समुदाय की समस्याओं पर बातचीत कर सकें. यह बात जमीयत उलेमा ए हिन्द के प्रमुख मौलना अरशद मदनी ने राजधानी में कही.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान मौलाना ने कहा कि अब तक किसी भी मुद्दे पर मोदी सरकार की ओर से बातचीत के लिए उन्हें कोई बुलावा नहीं आया है. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वो लोग नई सरकार से अलग-थलग व्यवहार नहीं कर रहे हैं तो उनका जवाब था कि ऐसा कुछ नहीं है. मौलाना ने कहा कि उन्होंने वडोदरा में हाल में हुए दंगों की रिपोर्ट भी नरेन्द्र मोदी को भेजी है लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया है. इस तरह के कई मुद्दे हैं जो पिछले दिनों उठे हैं लेकिन सरकार उनसे बातचीत नहीं कर रही है.
मोदी सरकार के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 65 सालों में जब कोई खास बदलाव नहीं हुआ तो पांच महीनों में क्या उम्मीद रखी जाए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का यह बयान कि इस देश का मुसलमान देशभक्त है, सराहनीय है लेकिन उसकी आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी उनकी ही है. उनका यह फर्ज बनता है कि अल्पसंख्यकों को उनका हक दिलाएं और यह सुनिश्चित करें कि उनके साथ न्याय हो. उन्होंने कहा कि यह देश तभी तेजी से आगे बढ़ेगा जब अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चला जाएगा.
मौलाना ने कहा कि जमीयत सौ साल से भी ज्यादा समय से भारत की एकता का प्रतीक रहा है और देश के लिए उसने हमेशा अपना कदम आगे बढ़ाया. अब सरकार को उसकी बातें सुननी चाहिए और अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में काम करना चाहिए. मौलाना ने कहा कि अल्पसंख्यकों में निराशा का माहौल है और उनका मनोबल टूट रहा है.
उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि लोकसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व घट रहा है और अब मुट्ठी भर ही मुस्लिम सांसद जीत पाए हैं जबकि पहली लोकसभा में उनकी तादाद 50 की थी. इससे सियासत में मुसलमानों की पकड़ कमजोर हुई है और वे अपने को अकेला महसूस करते हैं. जरूरत है कि उन्हें उनकी सही जगह दी जाए. आज मुसलमानों के सामने बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी की बड़ी समस्याएं हैं और इन्हें दूर करना सरकार का फर्ज है. मौलाना ने कहा कि कांग्रेस ने उनसे वादाखिलाफी की थी और उसका परिणाम भुगत लिया. अब अन्य सियासी पार्टियों को इससे सबक लेना चाहिए.
उन्होंने आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों का भी मुद्दा उठाया और कहा कि उनके साथ अन्याय बंद होना चाहिए. इनसे अलगाववादी शक्तियों को बल मिलता है.