ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की ओर से तीन तलाक जैसे मुद्दों पर विचार करने के लिए अलग महिला दस्ता बनाए जाने का मुस्लिम महिलाओं के पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMWPLB) ने स्वागत किया है. साथ ही उम्मीद जताई है कि इस तरह की समस्याओं पर खुले दिमाग से विचार किया जाएगा.
AIMWPLB की चेयरपर्सन शाइस्ता अम्बर ने कहा, "मैं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक से जुड़ी समस्याओं, शिक्षाऔर अन्य मामलों को देखने के लिए महिला-दस्ता बनाए जाने का स्वागत करती हूं. साथ ही उम्मीद करती हूं कि इस पर खुले दिमाग और बिना किसी पूर्वाग्रह के विचार किया जाएगा."
शाइस्ता अम्बर ने कहा, " सिर्फ महिला ही महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को समझ सकती है. मैं उम्मीद करती हूं कि वे तीन तलाक, वसीयत, खुला और हलाला को लेकर महिलाओं की व्यथा को समझेंगे. अगर ऐसा नहीं होता तो इस महिला दस्ते का कोई मतलब नहीं होगा."
शाइस्ता अम्बर ने कहा कि दारूल-क़ाजा (शरीयत अदालतों) में महिला काजी, मुफ्ती और आलिम की कमी है जिसकी वजह से तलाक के मामलों में महिलाओं से इनसाफ नहीं होता. अम्बर के मुताबिक महिलाओं को इनसाफ सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की अदालतों में महिला काजी, मुफ्ती और आलिम मौजूद होनी चाहिएं.
अम्बर ने कहा कि वो तीन तलाक और अन्य मुद्दों पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारियों से मिल कर बात करना चाहती थीं लेकिन उन्हें वक्त नहीं दिया गया. हालांकि अब बोर्ड ने का ये नया कदम संकेत देता है कि बोर्ड ने महिलाओं की दयनीय स्थिति का अहसास करना शुरू कर दिया है.
रविवार को बोर्ड ने अपनी तरह के पहले फैसले में महिला दस्ता बनाने का फैसला किया, जो तलाक जैसे मुद्दों को देखेगा. हालांकि बोर्ड ने साथ ही तीन तलाक के समर्थन में प्रस्ताव भी पास किया.