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मुस्लिमों को अल्पसंख्यक न मानने वाले बयान से पलटीं नजमा हेपतुल्ला

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्लाह अपने विवादास्पद बयान से पलट गई हैं. मंगलवार को उन्होंने कहा था कि भारत में मुसलमान पिछड़ा जरूर है, पर अल्पसंख्यक नहीं है. लेकिन गुरुवार को उनका मतलब यह था कि मुसलमान अल्पसंख्यकों में बहुसंख्यक है.

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Najma Heptullah
Najma Heptullah

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला अपने विवादास्पद बयान से पलट गई हैं. उन्होंने कहा था कि भारत में मुसलमान पिछड़ा जरूर है, पर अल्पसंख्यक नहीं है. लेकिन बुधवार को उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब यह था कि मुसलमान 'अल्पसंख्यकों में बहुसंख्यक' है.

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मंगलवार को मुस्लिम कल्याण की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर नजमा ने कहा था, 'केवल मुसलमान ही क्यों. यह केवल मुस्लिम मामलों का मंत्रालय नहीं है. उन्होंने कहा, मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं. वास्तव में पारसी अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी घट रही है. उन्हें मदद की जरूरत है ताकि वे लुप्त न हो जाएं.'

मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ नजमा
इसके बाद आज सफाई देते हुए उन्होंने कहा, 'अल्पसंख्यकों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं. पारसी समाज बहुत कम है. छह अल्पसंख्यक समुदायों में मुसलमान सबसे ज्यादा हैं.'

उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए. उन्हें खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए. वह सबसे छोटा अल्पसंख्यक समूह नहीं हैं. मुस्लिम आरक्षण पर उन्होंने कहा, 'संविधान में मजहब की बुनियाद पर आरक्षण नहीं है. वैसे भी रिजर्वेशन से चंद लोगों को फायदा पहुंचता है. सवाल ये है कि आप चंद लोगों का फायदा चाहते हैं या सबका. हम समावेशी विकास चाहते हैं. आरक्षण स्थायी समाधान नहीं है.'

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'पिछड़ापन दूर करने में लगेगा वक्त'
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का प्रभार संभालने वाली नजमा ने कहा कि मुसलमानों का पिछड़ापन बरसों पुराना और इसे दूर करने में वक्त लगेगा. अगर पिछली सरकार ने कुछ किया होता तो ये हालत नहीं होती. बैकलॉग को दूर करने में वक्त लगेगा.

उन्होंने कहा, हम आर्थिक, सामाजिक विकास एवं समावेशी विकास (अल्पसंख्यकों के लिए) करना चाहते हैं. जब तक कि वे विकास का हिस्सा नहीं बन जाते, असंतुलित विकास बरकरार रहेगा.

'हमने नहीं किया था आरक्षण का वादा'
इससे पहले मंगलवार को नजमा ने कहा था, हमने कभी मुस्लिमों को आरक्षण का वादा नहीं किया. कांग्रेस ने यह काम किया था. मुस्लिमों की विकास चिंताओं का यह कोई समाधान नहीं है बल्कि बच निकलने का रास्ता है.

उन्होंने कहा, 'हम संविधान के दायरे में समाधान निकालने में भरोसा करते हैं क्योंकि उसमें धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं है. हम इसके लिए काम करेंगे कि सभी को समान अवसर मिल सके.'

यह पूछे जाने पर कि क्या नई सरकार सच्चर समिति की सिफारिशें लागू करेगी, उन्होंने कहा कि सभी सिफारिशों को लागू करना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद प्राथमिकताएं तय करेंगी. नजमा ने कहा, शिक्षा के जरिये विकास लाना महत्वपूर्ण है. अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षण संस्थाएं विकसित करना महत्वपूर्ण है.

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साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 13 करोड़ 80 लाख मुस्लिम थे जो देश की आबादी का 13.4 फीसदी हैं.

 

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