अयोध्या में विवादित स्थल के स्वामित्व सम्बन्धी मुकदमे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ खंडपीठ के फैसले को लेकर तरह-तरह की आशंकाओं और अटकलों के बावजूद ‘राम नगरी’ के मुसलमान कतई चिंतित नहीं हैं.
विवादित स्थल के नजदीक स्थित दोराही कुआं इलाके के निवासी जबी मोहम्मद ने कहा ‘‘मुझे कोई डर नहीं है और न ही कोई फिक्र...यह मेरा शहर है और यहां सब कुछ ठीक है.’’ दोराही कुआं में मुसलमानों के करीब एक दर्जन घर हैं. यहां रहने वाले मुस्लिमों में ज्यादातर लोग दर्जी समुदाय के हैं. छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस की त्रासदी के चश्मदीद गवाह जबी भी दर्जी का काम कर गुजारा करते हैं.
जबी के परिवार के सदस्य अपने पास-पड़ोस के हिन्दू लोगों के बेहद शुक्रगुजार है जिन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद हुए फसाद की मुश्किल घड़ी में न सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि उनके लिये भोजन पानी की भी व्यवस्था की.
जबी ने कहा ‘‘पिछले 18 बरसों में काफी कुछ बदल गया है. हर शख्स अमन-चैन चाहता है, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो. हालांकि फैजाबाद में दुकानें बंद हैं लेकिन मैं आज भी अपनी दुकान पर जाउंगा.’
अयोध्यावासी अच्छन खान ने कहा ‘‘वर्ष 1992 के उलट इस बार यहां से मुसलमानों के पलायन जैसी कोई बात नहीं है. उस वक्त अयोध्या में डर का माहौल था. इस बार किसी भी बाहरी व्यक्ति को शहर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई है.’’ खान ने कहा कि लोग वर्ष 1992 की वारदात को भुला चुके हैं. उन्होंने कहा ‘‘अब कोई भी शख्स उन चीजों को याद नहीं करना चाहता. वक्त गुजरने के साथ हालात में काफी बदलाव आ चुका है.’
विवादित स्थल के नजदीक स्थित काजियाना क्षेत्र के निवासी आसिफ इकबाल ने कहा, ‘‘तब और अब के हालात में बहुत बदलाव आ चुका है. प्रशासन ने जनता में सुरक्षा का भरोसा पैदा करने के लिये सभी कदम उठाए हैं लिहाजा इस बार लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा ‘शहर में तनाव जैसी कोई बात नहीं है. यहां पूरी तरह शांति है और बाजार आम दिनों की तरह खुले हैं.’’ अयोध्या निवासी सैयद रहम अहमद ने कहा ‘इस बार हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे को भरोसा दिला रहे हैं कि कहीं कोई गड़बड़ नहीं होगी.’