scorecardresearch
 

मुजफ्फरनगर हिंसा: मृतकों की संख्या 31 हुई

उत्तर प्रदेश में के मुजफ्फरनगर और आस-पास के इलाकों में साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 31 पहुंचने के बीच इस पर काबू पाने के लिए सोमवार को जद्दोजहद जारी रही और प्रशासन ने 200 दंगाइयों को गिरफ्तार करने के साथ ही केंद्रीय मंत्री अजित सिंह तथा रविशंकर प्रसाद सहित अन्य भाजपा सांसदों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने से रोक दिया.

Advertisement
X
मुजफ्फरनगर में तनाव का माहौल
मुजफ्फरनगर में तनाव का माहौल

उत्तर प्रदेश में के मुजफ्फरनगर और आस-पास के इलाकों में साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 31 पहुंचने के बीच इस पर काबू पाने के लिए सोमवार को जद्दोजहद जारी रही और प्रशासन ने 200 दंगाइयों को गिरफ्तार करने के साथ ही केंद्रीय मंत्री अजित सिंह तथा रविशंकर प्रसाद सहित अन्य भाजपा सांसदों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने से रोक दिया.

Advertisement

प्रधान सचिव (गृह) आर एम श्रीवास्तव ने लखनऊ में कहा, ‘मुजफ्फरनगर और अन्य हिस्सों में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है.’ दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू है तथा सेना ने लगातार दूसरे दिन फ्लैग मार्च किया.

शामली के जिलाधिकारी पी के सिंह ने कहा कि हिंसा पड़ोसी शामली जिले में भी फैल गई है जहां एक धर्मगुर की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

न्यायिक जांच के आदेश
हिंसा के समूचे घटनाक्रम की जांच के लिये एक सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया. आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगा. दंगे की जांच के लिये पूर्व न्यायाधीश विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया है. यह आयोग गत 27 अगस्त को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में तीन लोगों की हत्या से लेकर नौ सितम्बर के बीच हुए घटनाक्रम के बारे में अपनी रिपोर्ट देगा. आयोग खासकर इसकी जांच करेगा कि प्रशासन से कहां-कहां ढिलाई या चूक हुई.

Advertisement

पीएम ने दिया मदद का भरोसा
घटनाओं को लेकर चिंतित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात की और उन्हें स्थिति से निपटने के लिए सभी सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से मुजफ्फरनगर की स्थिति के बारे में प्रत्येक 12 घंटे पर रिपोर्ट देने को कहा है. गृह मंत्रालय ने इसके साथ ही राज्य सरकार से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त बल तैनात करने को कहा जहां हिंसा पर अभी काबू पाना बाकी है.

मामले पर सियासत शुरू
इस बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें विपक्ष ने राज्य सरकार पर हिंसा रोकने के लिए समय रहते कदम उठाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया जबकि सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि उसके प्रतिद्वंद्वी साम्प्रदायिक गड़बड़ी को हवा देने का प्रयास कर रहे हैं.

रालोद प्रमुख अजित सिंह, प्रसाद और भाजपा के दो सांसदों को पुलिस ने गाजियाबाद में उस समय रोक लिया जब वे हिंसा प्रभावित जिले का दौरा करने के लिए उत्तर प्रदेश में प्रवेश का प्रयास कर रहे थे. रविवार रातभर की कार्रवाई में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और भाजपा विधायक दल के नेता हुकुम सिंह, पार्टी विधायकों सुरेश राणा, भारतेंदु, संगीत सोम और कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक सहित 1000 लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए मामले दर्ज किये गए हैं.

Advertisement

अफसरों का तबादला
हिंसा को लेकर कड़ी आलोचना झेल रही उत्तर प्रदेश सरकार ने सहारनपुर के डीआईजी, मुजफ्फरनगर के एसएसपी और शामली के पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है. हिंसा प्रभावित मुजफ्फरनगर सहारनपुर रेंज में आता है.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अरुण कुमार ने मुजफ्फरनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘हम फुगना, शाहपुर, धौरकलां में हथियारों के लाइसेंस भी रद्द कर रहे हैं क्योंकि उनका हिंसा के दौरान दुरपयोग किया जा रहा था.’ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी एल जोशी ने मुजफ्फरनगर हिंसा पर केंद्र को एक रिपोर्ट भेजी है जिसके बारे में लखनऊ में सूत्रों ने कहा कि उसमें प्रशासनिक खामियों के साथ ही वहां की वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है.

इस बीच, मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि मुजफ्फरनगर जिले के मीरपुर नगर में एक व्यक्ति की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई.

मायावती ने बीजेपी-सपा पर लगाया आरोप
मायावती ने दिल्ली में कहा, ‘हिंसा के पीछे भाजपा और सपा का हाथ देखा जा सकता है. लोकसभा चुनाव करीब हैं और दोनों दल (भाजपा एवं सपा) चुनावों को साम्प्रदायिक रंग देना चाहते हैं. यह उनके राजनीतिक खेल की योजना है.’ दंगा प्रभावित क्षेत्रों में जाने के प्रयास में गाजियाबाद में रोके गये रालोद प्रमुख और केन्द्रीय मंत्री अजित सिंह ने कहा, ‘भाजपा वोटों का ध्रुवीकरण चाहती है, और सपा की भी यहीं मंशा है.’ उन्होंने कहा, ‘दोनों का मानना है कि ध्रुवीकरण से उनका लाभ होगा. भाजपा ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश क्यों भेजा?' मायावती ने कहा कि भाजपा और सपा दोनों 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने राजनीतिक हितों को बढ़ाने के लिए आपस में मिले हुए हैं.

Advertisement

बसपा नेता ने कहा, ‘वे (विहिप की) 84 कोसी यात्रा की आड़ में उत्तरप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ना चाहते हैं, लेकिन जनता के सामने उनके राजनीतिक खेल की पोल खुल चुकी है.’’ अजित सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार के पास विकास कार्य के नाम पर दिखाने के लिए कुछ है नहीं, इसलिए वह वोट पाने के लिए आम चुनाव से पहले साम्प्रदायिक विभाजन का प्रयास कर रही है.

दोनों ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश की सत्ता में सपा के आने के बाद से राज्य में 100 से ज्यादा सांप्रदायिक दंगों के मामले सामने आये हैं.

बीजेपी नेता को रोका गया
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद को भी गाजियाबाद में रोक लिया गया. उन्होंने कहा कि अगर उचित समय पर कड़ी कार्रवाई की जाती तो मुजफ्फरनगर में मौजूदा हालात नहीं होते.

Advertisement
Advertisement