दंगें भड़कने के एक महीने बाद उत्तर प्रदेश सरकार हरकत में आ गई है. प्रशासन ने दंगा भड़काने के लिए 9 नेता सहित कुल 16 लोगों के खिलाफ वारंट जारी किया है. इसमें बीजेपी, बीएसपी और कांग्रेस के नेता शामिल हैं.
बीजेपी विधायक संगीत सोम और भारतेंदू , पूर्व बीजेपी विधायक ओमवेश, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत, बीएसपी सांसद कादिर राणा, बीएसपी विधायक नूर सलीन राणा और जमील अहमद, कांग्रेस के पूर्व मंत्री सैदउल जमा सहित कुल 16 लोगों के खिलाफ वारंट जारी हुआ है. इन सभी नेताओं पर भड़काऊ भाषण देकर भीड़ को हिंसा के लिए भड़काने का आरोप है.
इन नेताओं की गिरफ्तारी किसी भी वक्त हो सकती है. यूपी पुलिस ने विधानसभा के बाहर घेराबंदी कर दी है.
गौरतलब है कि जिन विधायकों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश दिए गए हैं, उनमें से कुछ विधानसभा में मौजूद हैं. जैसे ही वे बाहर निकलेंगे, उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा.
इस बीच, मुजफ्फरनगर में हाल में हुए सांप्रदायिक दंगे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के शोरशराबे के कारण उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को फिर प्रश्नकाल नहीं हो सका.
सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बीएसपी और विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने काम रोककर मुजफ्फरनगर दंगे पर चर्चा कराये जाने की मांग की.
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में एक संदेश जाना चाहिये और सांप्रदायिक सौहार्द बहाल किया जाना चाहिये. बीजेपी विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह ने आरोप लगाया कि दंगे में राज्य सरकार और उसके मंत्रिमण्डल की भूमिका संदिग्ध है तथा इस मामले पर सदन में चर्चा की जानी चाहिये.
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने भी मुजफ्फरनगर दंगे पर चर्चा कराये जाने की मांग की.