साम्प्रदायिक हिंसा के बाद छावनी में तब्दील हो चुके मुजफ्फरनगर में हालात पर काबू पाने के लिए हर प्रयास जारी है. पुलिस को अधिकार दिया गया है कि हिंसा करते लोगों को गोली भी मार सकती है. अभी तक इस हिंसा में कुल 29 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, लोगों को उकसाने के आरोप में चार विधायकों, एक कांग्रेस के पूर्व सांसद समेत कुल 40 लोगों को नामजद किया गया है.
रविशंकर प्रसाद को यूपी गेट पर ही रोका
दिल्ली से मुजफ्फरनगर जा रहे भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद को गाजियाबाद पुलिस ने यूपी गेट पर ही रोक दिया. लाव-लश्कर के साथ मुजफ्फरनगर जाने का प्रयास कर रहे रविशंकर ने इस मौके पर केंद्र और प्रदेश दोनों ही सरकारों को आड़े हाथ लिया.
रविशंकर ने जहां मुजफ्फरनगर की घटना के लिए यूपी की सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं प्रदेश के राज्यपाल की रिपोर्ट पर चुप्पी साधे बैठी यूपीए सरकार पर भी सवाल दागे. भाजपा नेता ने कहा कि गुजरात दंगों और भगवा आतंकवाद पर आए दिन बोलने वाली केंद्र सरकार और गृह मंत्री जरा बताएं कि राज्यपाल की रिपोर्ट आने के बाद वो यूपी के मसले पर चुप्पी क्यों साधे हैं. मुजफ्फरनगर में बने हालातों को लेकर भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब कानूनी तरीके से दिया जाएगा.
चौतरफा घिरी यूपी सरकार
उधर, उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले पर घिर गई है. विपक्ष ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. राज्यपाल बीएल जोशी ने मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है और इसमें टिप्पणी की गई है कि यूपी सरकार को पहले ही इस तरह की घटना के बारे में आगाह किया गया था, लेकिन सरकार इसे रोकने में नाकाम रही. जाहिर है यह सीधे तौर पर यूपी सरकार की साख पर उंगली उठाने जैसा है.
मुजफ्फरनगर में हिंसा के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में 4 बीजेपी विधायकों (हुकुम सिंह, सुरेश राणा, कुंवर भारतेंदु और संगीत सिंह सोम), समेत कुल 40 लोगों को नामजद किया गया है. इन पर महापंचायत बुलाने का आरोप है और इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की दबिश जारी है. साथ ही कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
रेलवे ने किए खास इंतजाम
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा को देखते हुए रेलवे ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतजाम किए हैं-
जो ट्रेन दिल्ली से सहारनपुर वाया बागपत या मेरठ-मुजफ्फरनगर के लिए जाएगी उसमें विशेष सुरक्षा दस्ता तैनात किया गया है.
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की एक कंपनी दिल्ली भेजी गई है.
अतिरिक्त 300 पुलिस कांस्टेबलों को रेलवे संपत्ति की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है.
वरिष्ठ जीआरपी अधिकारियों को मुजफ्फरनगर में जाकर स्थिति का जायजा लेंगे.
अधिकारियों के हुए तबादले
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा को लेकर अब अधिकारियों पर गाज गिरने लगी है. भुवनेश कुमार को सहारनपुर का नया कमिश्नर बनाया गया है. वहीं अशोक जैन को डीआईजी सहारनपुर बनाया गया. साथ ही एडीजी भावेश कुमार को सहारनपुर मंडल भेजा गया. मेरठ रेंज के आईजी ब्रजभूषण और सहारनपुर के कमिश्नर मंजीत सिंह को हटा दिया गया है. इसके अलावा सहारनपुर के डीआईजी का तबादला कर दिया गया है.
प्रशासन हालांकि स्थिति के नियंत्रण में होने की बात कह रहा है. बताया गया है कि मुजफ्फरनगर में हिंसा के बाद अब हालात सुधर रहे हैं. प्रशासन के मुताबिक, छिटपुट हिंसा को छोड़कर हालात काबू में हैं. एडीजी अरुण कुमार ने 28 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि 90 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हालात को काबू में करने के लिए पूरे शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. शहर में अमन-चैन की बहाली के लिए पुलिस के तमाम आला अफसरों की टीम के साथ-साथ पीएसी (PAC), सीआरपीएफ (CRPF), आरएएफ (RAF) और आईटीबीपी (ITBP) की कई बटालियन की तैनाती की गई है.
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तीन थाना इलाकों में कर्फ्यू
पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट के बीच मुजफ्फरनगर के 3 थाना इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. सरकार ने हिंसा को फैलने से रोकने के लिए उन नेताओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया है जो भीड़ को भड़काने के आरोपी पाए जाएंगे. पुलिस को अधिकार दिया गया है कि हिंसा करते लोगों को गोली भी मार सकती है.
उत्तराखंड से सटी सीमा सील
मुजफ्फरनगर के संवेदनशील इलाकों में सेना फ्लैग मार्च कर रही है. उत्तराखंड से सटी सीमा सील कर दी गई है. उत्तराखंड में हरिद्वार, उधमसिंह नगर और देहरादून पर खास नजर रखी जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है. केंद्रीय गृहराज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने जरूरत पड़ने पर केंद्र से और फोर्स भेजने की बात कही है. आरपीएन सिंह ने कहा कि हालात काबू में हैं और हिंसा रोकने के लिए सरकार हर कदम उठा रही है.
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर हिंसा को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. सीएम ने लोगों को अफवाहों से बचने की अपील की है. अखिलेश यादव ने कहा कि हिंसक घटना के लिए जिम्मेदार व दोषी व्यक्तियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और हर हाल में शांति व्यवस्था कायम की जाएगी.
हमेशा की तरह, यहां भी राजनीति शुरू
मुजफ्फरनगर में हिंसक झड़प पर राजनीति भी शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी इसे कुछ ताकतों की साजिश बता रही है, जबकि बीएसपी और बीजेपी इसे कानून व्यवस्था की नाकामी बता रही है. विपक्षी दलों ने अखिलेश सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. यूपी के गृह सचिव तमस सक्सेना का बयान आया है कि फेसबुक, ट्वीटर और व्हाट्स ऐप से अफवाह फैलाई जा रही है. कांग्रेस ने भी अखिलेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दिग्विजय सिंह ने कहा है कि इससे बेहतर तो मायावती का राज था. वहीं, मुजफ्फरनगर पर बीजेपी ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित कर दी है. रविशंकर प्रसाद की अगुवाई में यह दल आज इस क्षेत्र का दौरा करेगा.
ये है पूरे विवाद की जड़
27 अगस्त को छेड़छाड़ की एक घटना के बाद से ही मुजफ्फरनगर में विवाद शुरू हुआ. दो गुटों में शुरू हुई झड़प की चिंगारी बर्बादी और तबाही की ऐसी आग में बदली कि अब हालात बेकाबू हो रहे हैं. अखिलेश सरकार पर भी आरोप है कि खुफिया सूचना होने के बावजूद भी वक्त रहते कदम नहीं उठाया गया.