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चीन के बाद म्यांमार ने भी सीमा पर दिखाई आंख, मणिपुर में घुसपैठ की खबर

जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों में पाकिस्तान व चीन की घुसपैठ की खबरें आना अभी बंद भी नहीं हुईं है कि भारतीय सेना को एक और सीमा पर नए दुश्मन से चुनौती मिल रही है. भारतीय सेना को अब मणिपुर में म्यांमार सेना का सामना करना पड़ रहा है.

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म्‍यांमार सेना ने की मणिपुर में घुसपैठ
म्‍यांमार सेना ने की मणिपुर में घुसपैठ

जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों में पाकिस्तान व चीन की घुसपैठ की खबरें आना अभी बंद भी नहीं हुईं है कि भारतीय सेना को एक और सीमा पर नए दुश्मन से चुनौती मिल रही है. भारतीय सेना को अब मणिपुर में म्यांमार सेना का सामना करना पड़ रहा है.

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आज तक को मिली जानकारी के मुताबिक गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय को इस घुसपैठ की जानकारी है और वे इस घटनाक्रम को लेकर जरूरी कदम भी उठा रहे हैं.जानकारी के मुताबिक यह घुसपैठ मणिपुर के चंदेल जिले के मोरेह पुलिस स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी पर हुई. यह इलाका 9 असम राइफल यूनिट के अधीन आता है, जो सीधा गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है. नई सीमा विवाद चंदेल जिले में आने वाले भारत-म्यांमार के 10 किलोमीटर बॉर्डर के आसपास के इलाके को लेकर है.

बंद हो दूसरा गाल बढ़ाना
दरअसल, म्यांमार सेना की एक पलटन (87 लाइट इफेंट्री) होलनफाई गांव में घुस आई और वहां अपने बेस कैंप के निर्माण के लिए तैयारियां शुरू कर दी. आपको बता दें कि होलनफाई गांव पर म्यांमार अपना दावा करता रहा है. यह गांव मणिपुर की राजधानी इम्फाल के दक्षिण-पूर्व में 100 किलोमीटर की दूरी पर है. पिछले हफ्ते, इस गांव का प्रधान लालखोलून हाउकिप इलाके का निरीक्षण कर रहा था तब उसने म्यांमार सेना के जवानों को तैयारियां करते देखा.
लालखोलून हाउकिप ने म्यांमार सेना के जवानों से इस बाबत पूछताछ की पर उसे कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने तो गांव के प्रधान को भारतीय अधिकारियों से बात करने को कहा. इसके बाद उसी दिन इलाके के IAS अधिकारी रॉबर्ट क्षेत्रिमयूम ने क्षेत्र का जायजा लिया.

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म्यांमार सेना की इस पलटन के कमांडिंग अफसर ने भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की पर इलाके में निर्माण कार्य रोकने से इनकार दिया. उन्होंने दो बाते कहीं. पहला यह कि वे जिस इलाके में निर्माण कार्य कर रहे हैं, वह म्यांमार का हिस्सा है और दूसरा, कि इस कैंप को बनाने का निर्देश ऊपर से आया इसलिए स्थानीय स्तर पर कोई बातचीत नहीं हो सकती.

सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे को लेकर म्यांमार सेना की 87 लाइट इंफेंट्री और 9 असम राइफल्स संपर्क में है. पर गांव में निर्माण कार्य अभी भी पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं.

कोलकाता स्थित सेना के पूर्वी कमांड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बॉर्डर पर स्थित इस गांव को लेकर विवाद तब पैदा हुआ जब भारत-म्यांमार बॉर्डर को चिन्हित करने वाले तीन पिलर गायब हो गए.हालांकि उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझा लिया गया. जो 26 अगस्त को हुई थी.

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