पूर्वोत्तर भारत को कई मायनों में देश के लिए नजीर माना जाता है, लेकिन एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां इसकी स्थिति आज भी नहीं सुधरी. वो भी तब जब यहां पर महिलाओं की स्थिति और साक्षरता दर, अन्य क्षेत्रों से काफी बेहतर है. नगालैंड 55 साल पुराना अपना अनचाहा रिकॉर्ड इस बार भी नहीं तोड़ सका.
पूर्वोत्तर भारत के 3 राज्यों नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम शनिवार को आए, परिणाम चाहे जो भी रहे हों, लेकिन नगालैंड के इतिहास में इस चुनाव के जरिए जिस बदलाव की बात कही जा रही थी वो इस बार भी नहीं हो सकी.
नगालैंड विधानसभा के इतिहास में आज तक कोई महिला विधायक नहीं बन सकी है. इस बार चुनावी समर में रिकॉर्ड 5 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता किसी को नहीं मिली.
उम्मीद की जा रही थी कि अबकी इतिहास खुद को बदलेगा. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार ज्यादा महिलाओं ने नॉमिनेशन फाइल किया था. पिछली बार महज 2 महिलाओं ने चुनावी पर्चा भरा जबकि इस बार यह संख्या 5 तक थी.
लोकसभा में पहुंच चुकी हैं नगा महिला
नगालैंड में आज तक कोई महिला चुनकर विधानसभा नहीं आई हैं. हैरानी की बात यह है कि 1963 में नगालैंड राज्य बनने के बाद अब तक केवल 30 महिलाओं ने ही नॉमिनेशन फाइल किया.
हालांकि 1977 में रानो एम शाइजा नाम की महिला लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं, तब से लेकर आज तक कोई भी महिला विधानसभा या लोकसभा नहीं पहुंच सकी हैं.
अपने समुदाय की पहली महिला उम्मीदवार
अबोई से नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) की महिला उम्मीदवार अवान कोनयक मतगणना के शुरुआती दौर में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के उम्मीदवार पर बढ़त बनाने में कामयाब रही थीं, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. यहां पर इन्हीं दो लोगों के बीच टक्कर थी.
खास बात यह है कि राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाली अवान अपने कोनयक समुदाय से चुनाव में उतरने वाली पहली महिला उम्मीदवार भी थीं.
नागालैंड के पूर्व शिक्षा मंत्री न्येईवांग कोनयक की बेटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से लिंग्विस्टिक्स में एमए करने वाली अवान ने एनपीएफ के उम्मीदवार इशाक कोंयाक को कड़ी टक्कर भी दी और 5,131 वोट हासिल किए, जो इशाक को मिले मतों से 905 कम थे. इशाक को 6,036 मत मिले. हालांकि नोटा को 43 वोट मिले
शेष 4 महिलाएं भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकीं. तुएनसांग क्षेत्र से बीजेपी की ओर से राखिला भी कोई कमाल नहीं कर सकीं. बीजेपी स्टेट वाइस प्रेसिडेंट राखिला 4 उम्मीदवारों में तीसरे नंबर पर रहीं और उन्हें 2,749 मत ही मिले.
नगालैंड में महिलाओं की साक्षरता दर राष्ट्रीय साक्षरता दर से कहीं ज्यादा है. देश में महिलाओं की साक्षरता दर 65 फीसदी है तो नगालैंड की महिलाओं की साक्षरता दर 76 फीसदी है. 2016 की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 23.5 फीसदी महिलाएं सरकारी नौकरी में हैं, जबकि 49 फीसदी निजी सेक्टर में कार्यरत हैं.