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नगालैंड में BJP-NDPP की सरकार बनी तो ये नेता होंगे सीएम!

नगालैंड में भी बीजेपी गठबंधन को अच्छी सीटें मिलती दिख रही हैं. हालांकि नतीजे में काफी उतार-चढ़ाव है और अंतिम नतीजे के बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ होगी. लेकिन बीजेपी गठबंधन में सरकार बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है.

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एनडीपीपी प्रमुख नेफियू रियो
एनडीपीपी प्रमुख नेफियू रियो

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त्रिपुरा के बाद नगालैंड में भी बीजेपी गठबंधन को अच्छी सीटें मिलती दिख रही हैं. हालांकि नतीजे में काफी उतार-चढ़ाव है और अंतिम नतीजे के बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ होगी. लेकिन बीजेपी गठबंधन में सरकार बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है.

राज्य में गठबंधन को मिली बढ़त का का ज्यादा श्रेय NDPP के 67 वर्षीय नेता नेफियू रियो को जाता है. बीजेपी गठबंधन की छोटी साथी है, एनडीपीपी ज्यादा सीटों पर लड़ी थी और उसे ज्यादा सीटें मिलती दिख भी रही हैं. इसलिए इस बात की मजबूत संभावना है कि नगालैंड में NDPP नेता नेफियू रियो को सीएम बनाया जाए.

रियो की लोकप्रियता का आलम यह है कि वह पहले ही अपना चुनाव निर्विरोध जीत चुके हैं. रियो करीब 11 साल तक नगालैंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्हें आज नगालैंड में सबसे कद्दावर नेता माना जाता है. उनकी पार्टी ज्यादा सीटें जीत रही है, तो स्वाभाविक रूप से वह मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार हैं. वह पीएम मोदी को भी पसंद हैं.

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सबसे पहले वह साल 2003 में राज्य के सीएम बने थे, तब वह नगा पीपल्स फ्रंट के नेता थे और इस पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन किया था. रियो ने इसके एक साल पहले ही कांग्रेस से बगावत कर नगा पीपल्स फ्रंट का गठन किया था. इसके बाद वह 2008 और 2013 में भी जीते.

जनवरी 2018 में ही नगा पीपल्स फ्रंट के भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद नेफियू रियो ने एनडीपीपी पार्टी का दामन थाम लिया. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) का गठन पिछले साल ही हुआ था.

ऐसा माना जा रहा है कि रियो की शह पर ही एनपीएफ के बागियों ने इस नई पार्टी का गठन किया. इस साल फरवरी में ही पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनावी अखाड़े में उतरी. बीजेपी और एनडीपीपी दोनों ने क्रमश: 20 और 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. राज्य की 60 में से 59 सीटों पर 27 फरवरी को वोटिंग हुई थी.

हालांकि रियो के कार्यकाल में भी भ्रष्टाचार के कई आरोप सामने आए थे. इसके बाद दबाव को देखते हुए उन्होंने 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और लोकसभा का चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें जीत भी मिली थी.

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