दीमापुर में बलात्कारी की बर्बर हत्या मामले में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है. सवाल उठ रहे हैं कि सेंट्रल जेल में भीड़ कैसे घुसी, क्या उनका वहां घुस पाना बिना पुलिसिया सहयोग के संभव था. वैसे इस मामले में धरपकड़ तेज हो गई है, पुलिस ने अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
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दीमापुर की भीड़ के खूनी इंसाफ में अब वर्दी वालों की चुप सहमति की आशंका मजबूत होती जा रही है. क्या बलात्कार के आरोपी सैयद फरीद खान की पिटाई और बर्बर हत्या सिर्फ भीड़ के हाथों हुई है, क्या सेट्रल जेल में उनका घुस आना सिर्फ पुलिस वालों की बेबसी है. हालांकि पुलिस ने कार्रवाई को तेज करते हुए एक के बाद एक कई लोगों को गिरफ्तार किया है और मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिये गए हैं लेकिन माहौल में तनाव बना हुआ है.
बताया जा रहा है कि इस बात की संभावना मजबूत होती जा रही है कि पुलिस ने भीड़ को जेल में दाखिल होने में मदद की थी. सवाल ये भी उठ रहा है कि सैयद फरीद खान को लोगों ने पहचाना कैसे.
दूसरी तरफ, बलात्कार पीड़िता का कहना है कि फरीद खान ने उसे खामोश रहने के लिए 5 हजार रुपये देने की पेशकश की थी. बलात्कार पीड़िता का कहना है कि वो अपने लिए इंसाफ चाहती थी, उसने लोगों के हाथों फरीद खान की हत्या पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
इस बीच असम से मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी गृह मंत्रालय को खत लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है. हालात पर केन्द्र की नजर बनी हुई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कह दिया गया है.
चूंकि बलात्कार का शिकार होने वाली युवती नागा समुदाय की है इसलिए इस घटना के सांप्रदायिक रंग लेने का खतरा बना हुआ है.
आपको बता दें कि गुरुवार को दीमापुर में करीब 10 हजार लोगों ने सेंट्रल जेल में घुसकर सैयद खान को दबोच लिया था, उसे मारते पीटते शहर के बीच घंटाघर तक ले गए थे और हत्या कर उसे टांग दिया था.