गुजराती नाटक ‘आ नमो बहू नदे छे’ (यह नमो मुश्किलें खड़ी करता है) के प्रोड्यूशर संजय गरोडिया ने दावा किया कि राज्य के सांस्कृतिक विभाग ने उन्हें इसका शीषर्क बदलने को कहा था. समझा जाता है कि ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि ‘नमो’ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकप्रिय संक्षिप्त नाम है.
संजय गरोडिया ने कहा, ‘गुजरात सरकार के सांस्कृतिक विभाग के अधिकारियों द्वारा आपत्ति जताये जाने पर हम इसका शीषर्क बदलने को बाध्य हुए. अधिकारियों ने कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में इसे मंचन की इजाजत नहीं देंगे.’ उन्होंने कहा कि नाटक ‘एक राजनीतिक व्यंग्य’ है. उन्होंने कहा कि विवाद को टालने के लिए शीषर्क बदलकर उसे ‘आ नमो नदता नथी’ (यह नमो कोई समस्या नहीं खड़ी करता) कर दिया गया.