उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हनुमान को दलित बताए जाने के बाद शुरू हुई बहस थम नहीं रही है. अब अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति में हनुमान एक गोत्र होता है. हनुमान जी दलित नही हैं अनुसूचित जनजाति के हैं.
एक बैठक में हिस्सा लेने लखनऊ पहुंचे नंद कुमार साय ने गुरुवार को कहा, 'जनजातियों में हनुमान एक गोत्र होता है. मसलन तिग्गा है. तिग्गा कुड़ुक में है. तिग्गा का मतलब बंदर होता है. हमारे यहां कुछ जनजातियों में साक्षात हनुमान भी गोत्र है, और कई जगह गिद्ध गोत्र है. जिस दंडकारण्य में भगवान (राम) ने सेना संधान किया था, उसमें ये जनजाति वर्ग के लोग आते हैं तो हनुमान दलित नहीं जनजाति के हैं.'
#लखनऊ : भगवान हनुमान जी पर मुख्यमंत्री के बयान के बाद अब अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष नन्द कुमार साय का बयान- अनुसूचित जनजाति में हनुमान गोत्र होता है। हनुमान जी दलित नही हैं अनुसूचित जनजाति के हैं. pic.twitter.com/8xKUymSejg
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) November 29, 2018
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में प्रचार के दौरान हनुमान को दलित बताया था. अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया. योगी ने कहा कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं.
सीएम योगी के बयान पर राजस्थान ब्राह्मण सभा ने त्यौरियां चढ़ा ली हैं. ब्राह्मण सभा ने हनुमान जी को जाति में बांटने का आरोप लगाते हुए योगी आदित्यनाथ को कानूनी नोटिस भेजा है.
जनजातियों के मुद्दों पर की चर्चा
बहरहाल, नंद कुमार साय ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन के साथ हुई बैठक में यूपी के जनजातियों को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें जाति प्रमाण पत्र और आदिवासी समाज के कल्याण के केंद्र सरकार की तरफ से आवंटित होने वाले बजट पर चर्चा हुई. साय ने बताया कि उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि उन अधिकारियों की पहचान की जाए जो जनजाति वर्ग के लोगों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बना रहे हैं. उन्हें दंडित किया जाए. इस बैठक में यूपी के मुख्य सचिव भी शामिल थे.
बैठक में चीफ सेक्रेटरी सहित सभी अधिकारी उपस्थित रहे. बैठक में प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में जनजाति के प्रगति पर चर्चा की गई. केंद्र से जो फंड आ रहे हैं उसके उपयोग और शिक्षा की स्थिति जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहे, इन समस्त बिंदुओं की समीक्षा की गई.