चार राज्यों की विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद देश की राजधानी में कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर चर्चा तेज हो गई है. राहुल गांधी का नाम अब तक आगे नहीं आया है और इसलिए कयासों के बाजार गरम हैं. दरअसल, चुनावों में हार के बाद रविवार को सोनिया गांधी ने प्रेस को बताया था कि सही समय पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा की जाएगी. बड़े नेताओं ने अब तक इस मसले पर चुप्पी साध रखी है. हालांकि जानकारों को इन बड़े नेताओं में से कई पीएम कैंडिडेट की रेस में दिखते हैं. इनमें वित्त मंत्री पी चिदंबरम, रक्षा मंत्री ए के एंटनी और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का नाम सबसे आगे आ रहा है. लेकिन अब जो नाम सामने आया है जो सबसे चौंकाने वाला है. अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक ये नाम है आधार कार्ड की सोच के पीछे खड़े यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नंदन नीलेकणि का.
अब अचानक नीलेकणि का नाम सामने आने के पीछे भी कई कारण गिनाए जा रहे हैं. सबसे बड़ा कारण उनकी साफ छवि और राजनीति से पूर्व में कोई सरोकार का नहीं होना है. टेक्नोलॉजी क्षेत्र के विशेषज्ञ नीलेकणि अपने काम के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने इन्फोसिस को खड़ा करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है. उन्हें सरकार के साथ काम करने का अब चार साल का अनुभव भी है. यूआईडी प्रोजेक्ट पर काम करते हुए उन्होंने विभिन्न राज्यों, पार्टियों और मंत्रालयों के बीच काम किया है और राजनीतिक रूप से इस अत्यंत ही महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को 'आधार' दिया.
कहा जाता है कि सोनिया और राहुल गांधी के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं. आईआईटी से पढ़े नीलेकणि की उम्र अभी 58 साल है और कांग्रेस के बाकी के नामों की तुलना में ये अभी युवा ही कहलायेगा.