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विदेशी शेयर ब्रोकरेज को भरोसा-2019 में लौटेंगे मोदी, पर दूसरे दलों की होगी बैसाखी

शेयर बाजार में सक्रिय विदेशी ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि 2019 के चुनाव में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनेगी. हालांकि, उनका यह मानना है कि अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी.

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पीएम मोदी (फाइल फाेटो: रायटर्स)
पीएम मोदी (फाइल फाेटो: रायटर्स)

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भारतीय शेयर बाजार में सक्रिय विदेशी ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी फिर से सत्ता में आएगी. हालांकि उनका यह भी मानना है कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं हासिल कर पाएगी, इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए सहयाेगी दलों पर निर्भर रहना होगा.

गौरतलब है कि फॉरेन ब्रोकरेज हाउस देश के राजनीतिक हालात पर गहरी नजर रखते हैं. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, विदेशी ब्रोकरेज का यह मानना है कि केंद्र सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी और विपक्ष की एकजुटता नरेंद्र मोदी के दूसरी बार पीएम बनने की राह में बड़ी बाधाएं हैं और इससे इस बार बीजेपी की सीटें जरूर कम हो सकती हैं.

ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने अनुमान लगाया है कि 2019 के चुनाव में बीजेपी को 10 से 80 सीटों का नुकसान होगा. गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था और उसे 282 सीटें मिली थीं.

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ब्रोकरेज ऐसे फर्म होते हैं जो शेयर बाजार में लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए खरीदारों और विक्रेताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं.

एक और ब्रोकरेज हाउस नोमुरा इंडिया ने कहा है कि बीजेपी-एनडीए को अलग-अलग परिस्थ‍ितियों के हिसाब से 181 से 308 के बीच सीटें मिल सकती हैं. इसका बीच का आंकड़ा 245 होता है, यानी तब भी बीजेपी बहुमत से 27 सीट पीछे रहेगी.

मई महीने में एक और फर्म यूबीएस ने कहा था कि बाजार इस बात पर भरोसा कर रहा है कि मोदी 2019 में वापस आएंगे. हालांकि, पहले कई चुनाव बाजार को चकित कर चुके हैं, इसलिए इस बार शेयर कारोबारी राजनीतिक गतिविधियों पर गहरी नजर बनाए हुए हैं.

साल 2004 में तमाम ओपिनियन पोल यह कह रहे थे कि वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार वापस आएगी. सीएलएसए का कहना है, 'साल 2004 में बीजेपी ने इंडिया शाइनिंग अभियान के द्वारा अपने कार्यों का प्रदर्शन किया था और उसे अपनी वापसी का इतना भरोसा था कि जल्दी चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई.'

ये आठ राज्य हैं महत्वपूर्ण

सीएलएसए ने कहा है कि आठ राज्यों में बीजेपी को 50 से ज्यादा सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. इनमें मध्य प्रदेश, यूपी, गुजरात और राजस्थान शामिल हैं जहां 2014 में बीजेपी को 147 सीटें यानी समूची सीटों की आधी हासिल हुई थीं. इनके अलावा महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी की सीटें कम हो सकती हैं. इन आठ राज्यों में बीजेपी को 282 में से 201 सीटें हैं. सीएलएसए के मुताबिक एंटी इनकम्बेंसी या किसी अन्य वजह से वोटों में थोड़ा भी झुकाव विपरीत दिशा में हुआ तो इसका पार्टी काफी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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