लंदन के सेंट्रल हॉल वेस्टमिंस्टर से 'भारत की बात सबके साथ' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीतकार और कवि प्रसून जोशी के कई सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के कामकाज को परखने के लिए पिछली सरकार के 10 सालों के कामकाज का तुलनात्मक अध्धयन जरूरी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं कभी आधे भरे हुए गिलास का उदाहरण देता था. मैं इस मंच का उपयोग किसी दूसरी सरकार की आलोचना के लिए करूंगा, लेकिन पिछली सरकार के मुकाबले इस सरकार में निर्णय प्रक्रिया बदली है. उसी व्यवस्था में स्पष्ट नीति और सबके हित में आप इच्छित परिणाम ले सकते हैं. ये तो है नहीं कि मैं जो चाहूंगा वहीं होगा, अगर ऐसा नहीं होता है, तो मैं निराश नहीं होता हूं.
उन्होंने कहा, 'कोई कहता है कि गिलास आधा खाली है, कोई कहता है कि आधा भरा है, मैं कहता हूं कि आधा पानी से भरा है और आधा हवा से भरा है. वही लोग, वही अधिकारी हैं और आज देखिए कैसे काम हो रहा है.'
मोदी ने कहा, 'मैं यहां से पहले की किसी सरकार की बुराई नहीं करूंगा, लेकिन आपको एक तुलनात्मक अध्ययन के लिए पिछले 10 साल के काम और चार साल के काम में तुलना करनी पड़ेगी. आपकी नीति स्पष्ट हो, नीयत साफ हो और इरादे नेक हों तो आप उन्हीं संसाधनों से बेहतर काम ले सकते हैं.'
उन्होंने कहा कि 1857 में देश में आजादी की पहली लड़ाई हुई. देश के कोने-कोने में हर कोई देश की आजादी के लिए लड़ा. महात्मा गांधी ने जनसामान्य को जोड़ा और वह लोगों से कहते थे कि आप सफाई करते हो तो अच्छे से झाड़ू लगाओ, आप टीचर हो तो अच्छे से झाड़ू लगाओ, प्रभात फेरी निलाको, सूत कातो. उन्होंने लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार काम दे दिया. लोगों को भरोसा हो गया कि अपना काम करने से भी आजादी मिल सकती है. पहले शहीद आते थे और शहादत दे देते थे, गांधी जी ने सबको आजादी के लिए खड़ा कर दिया.
मोदी ने कहा, 'विकास के बारे में भी मैं ऐसा सोचता हूं. अगर सभी लोग मिलकर विकास के लिए काम करें तो विकास हो सकता है. सड़क पर गड्ढा होता है तो लोग जीप किराए में लेकर सरकारी दफ्तर में जाकर मेमोरेंडम देते हैं, जबकि इसी पैसे में गड्ढा भी भर सकते हैं.
उन्होंने कहा, 'लोग बस में बैठे-बैठे क्या करते हैं. सीट में अंगुली से गड्ढा करते रहते हैं. लोगों को लगता है कि सरकार की बस है, जब उन्हें लगेगा कि ये बस उनकी है तो वे ऐसा नहीं करेंगे. विकास को जनआंदोलन बनाना चाहिए. मैं चाहता हूं कि सरकार में लोगों की जनभारीदारी बढ़े.
लंदन के सेंट्रल हॉल वेस्टमिंस्टर से 'भारत की बात सबके साथ' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रेलवे स्टेशन मेरी जिंदगी और मेरे संघर्ष का स्वर्णिम पृष्ठ है. रेल की पटरियों और आवाज से बहुत कुछ सीखा है. और यह लोकतंत्र का ही कमाल है कि आज रॉयल हॉल में एक चाय बेचने वाला भी आप लोगों के बीच पहुंच सकता है. लोकतंत्र में जनता ईश्वर का रूप है.
उन्होंने कहा कि संतोष के भाव से विकास नहीं होता है. मकसद गति देता है नहीं है तो जिंदगी रूक जाती है. बेसब्री तरुणाई की पहचान है और यह आपमें नहीं है तो आप बुजुर्ग हो चुके हैं. बेसब्री ही विकास का बीज बोता है. बेसब्री को मैं बुरा नहीं मानता.