प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में तीन बार मंत्रिमंडल का विस्तार किया और तीनों बार सभी कयासों पर गलत साबित करते हुए राजनीतिक पंडितों को चौंकाया. रविवार को मोदी मंत्रिमंडल में 13 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई.
मोदी सरकार में चार मंत्रियों का प्रमोशन करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया जबकि 9 नए चेहरों को राज्यमंत्री बनाकर मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. इसके अलावा 32 मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव हुए हैं.
इस मंत्रिमंडल विस्तार में हर बार की तरह एक बात जो कॉमन रही वो थी पीएम मोदी के चौंकाने वाले फैसले. निर्मला सीतारमण को रक्षामंत्री बनाना इस बार मोदी का ऐसा फैसला रहा जिसे जिसने सुना, वो हैरान रह गया.
नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब अपनी पहली कैबिनेट बनाई, तब भी उनके फैसलों ने चौंकाया था. स्मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्रालय सौंपना ऐसा ही फैसला था. यही नहीं शिवसेना के सुरेश प्रभु को बीजेपी में लाकर रेल मंत्रालय जैसा अहम पोर्टफोलियो दे दिया गया जिसके लिए हर सरकार में दिग्गज मंत्री लालायित रहते हैं.
मोदी कैबिनेट में रक्षामंत्री के तौर पर मनोहर पर्रिकर की नियुक्ति भी एक चौंकाने वाला कदम थी. मनोहर गोवा में मुख्यमंत्री थे लेकिन वहां से उन्हें खासतौर पर इस पद के लिए सेंटर में लाया गया. ये तब था जब बीजेपी के ही कई शीर्ष नेता रक्षामंत्री बनने के सपने देख रहे थे.
मोदी सरकार के दो साल के बाद मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार हुआ. मोदी ने इस बार भी ऐसा फैसला लिया कि सभी कयास धरे के धरे रह गए. आश्चर्यजनक रूप से मोदी ने स्मृति ईरानी से मानव संसाधन मंत्रालय वापस ले लिया और उन्हें कपड़ा मंत्रालय जैसा कम महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंप दिया. प्रकाश जावड़ेकर का प्रमोशन करके उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया और मानव संसाधन मंत्रालय सौंप दिया गया.
मोदी सरकार के तीन साल के बाद मंत्रिमंडल का तीसरा विस्तार रविवार को हुआ. इससे एक दिन पहले सभी नए चेहरों के नाम मीडिया में आ चुके थे और रविवार को महज शपथग्रहण की औपचारिकता पूरी होनी थी लेकिन रविवार की शाम जब निर्मला सीतारमण को रक्षामंत्री बनाने की खबर सामने आई तो पता चला कि मोदी का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक तो बाकी था.
मोदी ने जिन 9 नए मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया है उनमें चार पूर्व अफसरों को मंत्री बनाया गया है. इनमें से दो तो बीजेपी से सांसद थे लेकिन अल्फ़ोंस कन्ननथनम और हरदीप सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करके मोदी ने फिर सबको हैरान किया.
इतना ही नहीं उमा भारती से जल संसाधन और गंगा सफाई मंत्रालय छीनकर नितिन गडकरी को दे दिया गया. खुद उमा को मोदी का ये फैसला पसंद नहीं आया और वो शपथ ग्रहण से दूर रहीं. गडकरी ने साथ प्रेसवार्ता में आईं लेकिन चुप्पी साधे रहीं.