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क्रिकेट को भुनाने वाले पहले नेता नहीं है मोदी

एक पुराना जमुला है कि खेल में राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन राजनीतिक लोग खेल को अपने हित के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं.

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Prime Minister Narendra Modi
Prime Minister Narendra Modi

एक पुराना जमुला है कि खेल में राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन राजनीतिक लोग खेल को अपने हित के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालिया अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर सुनील गावस्कर और कपिल देव की मौजूदगी में क्रिकेट डिप्लोमेसी की खूब गुगली चलाई. एमसीजी के इस शानदार क्रिकेट ग्राउंड पर टोनी एबॉट और मोदी के बीच द्विपक्षीय रिश्तों पर अच्छी साझेदारी नजर आई.

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अगर आप अपनी याददाश्त पर जोर डालें, तो मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के साथ विश्व कप और चरखा भी रखा हुआ था. मत भूलिए कि चरखा गांधी के आंदोलन में बहुत महत्वपूर्ण औजार था. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने डॉन ब्रैडमैन की महानता और सचिन की क्लास के साथ स्पिन और तेज गेंदबाजी की भी बात की.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय रिश्तों में मिठास घोलने के लिए क्रिकेट को सधे अंदाज में यूज किया. हालांकि मोदी पहले प्रधानमंत्री या राजनीतिज्ञ नहीं है, जिसने क्रिकेट या किसी खेल को दूसरे देश के साथ रिश्तों में प्रगाढ़ता लाने के लिए इस्तेमाल किया हो. नेताओं की कूटनीति का ये अंदाज बरसों पुराना है.

जब इंदिरा को याद आए नेहरू और क्रिकेट
नेहरू आजकल चर्चा में हैं. कांग्रेस और बीजेपी में नेहरू पर रार मची हुई है. हालांकि नेहरू के शासनकाल के दौरान राजनीतिज्ञों के लिए खेल गौण था, लेकिन इंदिरा गांधी ने अपने शासन काल में क्रिकेट को जमकर भुनाया. संसद के निचले और ऊपरी सदनों के बीच मैच के दौरान बल्लेबाजी करने जाते नेहरू की तस्वीरों का उपयोग करते हुए ब्रोशर छपवाए गए.

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क्रिकेट के प्रति भारतीयों के प्रेम और हमेशा लोकतांत्रिक रहे नेहरू के प्रति लोगों के प्रशंसा भाव का इस्तेमाल, उनकी निरकुंश और क्रिकेट पसंद नहीं करने वाली बेटी के प्रति वफादारी को बढ़ावा देने के लिए किया गया.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपनी किताब ‘विदेशी खेल अपने मैदान पर’ में लिखते हैं, ‘यह कहना गलत नहीं होगा कि इंदिरा गांधी खुद को राजनीति के कपिल देव की तरह देखती थी. 1983 की विजय के बाद इंदिरा गांधी ने खिलाड़ियों को स्वागत समारोह के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने खुद क्रिकेट के रंग वाली पोशाक पहनी. बगीचे में हो रहे इस समारोह के लिए इंदिरा ने बिंदियोंवाली सफेद साड़ी और उससे मेल खा रहा सफेद ब्लाउज पहना. प्रधानमंत्री ने प्रत्येक खिलाड़ी से बात की, खुद कप को हाथों में थामा, फोटो खिंचवाया और एक छोटा सा भाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा- ‘शाबाश! झंडे को लहराते रहो’.

अक्टूबर 1976 में सूचना और दृश्य प्रचार निदेशालय ने 'जवाहर लाल नेहरू: आधुनिक भारत के कप्तान शीर्षक' से एक छोटी पुस्तिका निकाली. आवरण पर बल्लेबाजी के लिए लंबे डग भरकर तेजी से चलते हुए बेदाग सफेद कपड़ों में नेहरू की तस्वीर थी. भीतर कई तस्वीरों में नेहरू बैडमिंटन, बिलियर्ड्स और लकड़ी के डंडे और गेंद से कोई खेल खेल रहे थे. (वि. खे. अ. मै. प. 320)

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आजादी के पांच साल बाद क्रिकेट डिप्लोमेसी
1952 में भारत दौरे पर आने वाली पाकिस्तान की टीम का पहला मैच दिल्ली में खेला गया. इस मैच का राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने शुभारंभ किया. यह दोनों देशों के बीच आजादी के बाद समरसता बनाने को लेकर यह महत्वपूर्ण पहल थी. प्रसाद मेहमान क्रिकेटरों को अपने बंगले पर चाय पर बुलाने के बहुत इच्छुक थे. प्रधानमंत्री नेहरू ने भी उनके साथ प्रशंसा करने वालों में शामिल हो गए.

वाजपेयी के समय उठी मांग, 2004 में हुआ पाक दौरा
मार्च 1999 में भारतीय प्रधानमंत्री ने लाहौर तक बस यात्रा की. अटल बिहारी वाजपेयी बीस साल बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बुलावे पर पाकिस्तान गए. वाजेपयी की इस यात्रा पर दोनों देशों के बीच विश्वास और भरोसे की उम्मीद बंधी.

पाकिस्तान के लोगों ने भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान के दौरे पर बुलाए जाने की मांग की. लेकिन पाकिस्तानी सेना ने इस पर पानी फेर दिया. करगिल युद्ध के पांच साल बाद जब 2004 में भारतीय टीम ने पाकिस्तान का दौरा किया, भारत की नई सरकार अपने पड़ोसी के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने को लेकर उत्साहित थी. क्रिकेट और कूटनीति के लिहाज से टीम इंडिया का पाकिस्तान दौरा बेहद सफल प्रयासों में से एक था.

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कोटला के आंगन में मनमोहन और मुशर्रफ
2004 में भारतीय टीम के पाकिस्तान दौरे के बाद 2005 में पाकिस्तानी टीम ने भारत का दौरा किया और पाक के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी मैच देखने भारत आए. दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान पर दोनों नेताओं ने क्रिकेट मैच देखा. भारतीय प्रधानमंत्री ने मुशर्रफ को जन्म प्रमाण पत्र और नाहरवाली हवेली की पेंटिंग तोहफे में देकर भाव-विभोर कर दिया.

गिलानी ने मोहाली में देखा मैच
2011 में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में आयोजित विश्वकप का मुकाबला देखने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी भारत आए. भारतीय प्रधानमंत्री के साथ उन्होंने मैच देखा और पड़ोसी देश के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के पथ पर दो कदम आगे बढ़ाए. विश्व कप का खिताब भारत के जीतने पर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे संदेश में गिलानी ने कहा, "क्रिकेट में भाईचारा बढ़ाने में हम सफल रहे हैं और इसे दुनिया में और लोकप्रिय खेल बना दिया है." गिलानी ने अपने बधाई संदेश में उम्मीद जाहिर की, "पाकिस्तान और भारत के बीच आने वाले समय में खेल के संबंध और मजबूत होंगे और दोनों ही शांति, मैत्री और मेल जोल को बढ़ाने के लिए भूमिका निभाएंगे."

कैमरन ने मुंबई में खेला क्रिकेट
भारत और पाकिस्तान ही नहीं ब्रिटेन भी क्रिकेट डिप्लोमेसी को आजमाता रहा है. 2013 में भारत आए ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने क्रिकेट डिप्लोमेसी को आजमाते हुए मुंबई के एक स्कूल में सांसदों और बच्चों संग क्रिकेट खेला.

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इसके अलावा 2012 में कैमरन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी क्रिकेट मैच के लिए आमंत्रित किया था. व्हाइट हाउस में ब्रिटिश पत्रकारों के सामने कैमरन ने ओबामा से कहा, 'आने वाले दिनों में मैं आपको क्रिकेट मैच दिखाऊंगा और उसके नियम समझाऊंगा. आपको इसे समझना होगा जैसे कि मैंने बीती रात समझने का प्रयास किया था.

क्रिकेट मैच के लिए निमंत्रण से एक दिन पहले ओबामा, कैमरन को बास्केटबॉल का मैच दिखाने इलिनोइस के डेटोन ले गए थे.

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