scorecardresearch
 

फूड सिक्योरिटी बिल लाने से पहले मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएं PM: मोदी

संसद में मंगलवार को खाद्य सुरक्षा बिल पर हंगामे के आसार हैं. यूपीए सरकार ने फूड बिल समेत कई मुद्दों पर सहमति बनाने करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. एक तरफ बीजेपी इस बिल के समर्थन का ऐलान कर चुकी है दूसरी तरफ गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने फूड बिल के मौजूदा प्रारूप में कुछ बिंदुओं पर ऐतराज जाहिर किया है. मोदी चाहते हैं कि इस मुद्दे पर सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जाए. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को चिठ्ठी भी लिखी है.

Advertisement
X
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी

संसद में मंगलवार को खाद्य सुरक्षा बिल पर हंगामे के आसार हैं. यूपीए सरकार ने फूड बिल समेत कई मुद्दों पर सहमति बनाने करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. एक तरफ बीजेपी इस बिल के समर्थन का ऐलान कर चुकी है दूसरी तरफ गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने फूड बिल के मौजूदा प्रारूप में कुछ बिंदुओं पर ऐतराज जाहिर किया है. मोदी चाहते हैं कि इस मुद्दे पर सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जाए. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को चिठ्ठी भी लिखी है.

Advertisement

मोदी ने मनमोहन सिंह को पत्र में लिखा है कि यह एक ऐसा मुद्दा है कि जिससे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों का वास्ता है.

मोदी ने पत्र में आरोप लगाया है कि गरीब परिवारों को अध्यादेश के जरिये ‘खाद्य आरक्षित’ बना दिया गया है जो ‘खाद्य सुरक्षा के मूल उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता.’ उन्होंने सात अगस्त की तिथि वाले पत्र में आरोप लगाया है कि अध्यादेश के तहत ‘अव्यवहार्य वैधानिक जिम्मेदारियां केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई हैं’ और ‘लाभार्थियों की संख्या पात्रता के मानदंड और व्यक्तिगत अधिकार तय किये बिना तय कर दी गई है. विभिन्न राज्यों के बीच व्यापक क्षेत्रीय असमानताएं हो सकती हैं.’

मोदी के अनुसार संसद की स्थायी समिति ने जनवरी 2013 में सिफारिश की थी कि सरकार को राज्य सरकार से सलाह मशविरा करके पात्रता मानदंड तय करने चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अध्यादेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों का हक 35 किलोग्राम प्रति परिवार से घटाकर औसत पांच व्यक्ति के परिवार को 25 किलोग्राम करने का प्रस्ताव है. उन्होंने कहा, ‘यह खाद्य सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य नहीं हो सकता जो उन लोगों का हक घटाता है जिनकी पहचान गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले के रूप में हुई है.’

Advertisement

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर योजना आयोग यह दावा कर रहा है बीपीएल परिवारों की संख्या में कमी हुई है लेकिन अध्यादेश के तहत जनसंख्या के दो तिहाई लोगों को खाद्य सहायता देने की बात है. इस पर राज्यों से चर्चा होनी चाहिए.

Advertisement
Advertisement