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कारगिल शहीदों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं मोदी सरकार

नरेंद्र मोदी सरकार कारगिल युद्ध में शहीद हुए सौरभ कालिया और पांच अन्य भारतीय जवानों को न्याय दिलाने को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार ने संसद में कहा कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नहीं उठाया जाएगा.

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कारगिल युद्ध में शहीद बेटे सौरभ कालिया के साथ माता-पिता
कारगिल युद्ध में शहीद बेटे सौरभ कालिया के साथ माता-पिता

नरेंद्र मोदी सरकार कारगिल युद्ध में शहीद हुए सौरभ कालिया और पांच अन्य भारतीय जवानों को न्याय दिलाने को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार ने संसद में कहा कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नहीं उठाया जाएगा.

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आपको बता दें कि साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया के साथ पांच अन्य भारतीय जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों ने बंधक बना लिया था. पाकिस्तान ने इनके ऊपर खूब अत्याचार किया और इन पर हुए अमानवीय सलूक के कारण कुछ समय बाद इनकी मौत हो गई थी.

इनके शव को जब पाकिस्तान ने भारत भेजा तो परिवार और देश देखकर शव की हालत देखकर दहल गया. तब से लेकर आज तक परिवार पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है.

वहीं, जब पिछले दिनों संसद में इस मुद्दे को उठाया गया कि क्या इस हत्या के मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्ट‍िस (आईसीजे) के सामने रखा जाएगा, जिससे पाकिस्तानी सैनिकों को सजा मिल सके? तो जवाब में सरकार ने कहा, 'इस मामले को न्यूयॉर्क अधिवेशन के दौरान 22 सितंबर 1999 को और मानवाधिकार आयोग को अप्रैल 2000 में ही अवगत करा दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जरिए कानूनी कार्रवाई के बारे में भी सारे पहलुओं पर विचार किया गया, लेकिन यह संभव नहीं लगता.'

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लगभग एक साल पहले यूट्यूब पर एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें एक पाकिस्तानी सैनिक स्वीकारता है कि 32 साल के एक आर्मी ऑफिसर को कारगिल युद्ध के दौरान बंधक बनाकर उसपर खूब अत्याचार किया गया था. उस दौरान देश में वाजपेयी सरकार थी, न्याय की मांग तब से है और आज फिर बीजेपी सरकार है, लेकिन मामले को दबाने की बात कही जा रही है. सौरभ कालिया के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन इस पर कुछ नहीं किया गया.

आपको बता दें कि 4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया पहले आर्मी ऑफिसर थे, जिन्होंने 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी दी थी. उन्हें पांच जवानों के साथ 15 मई 1999 को पकड़ लिया गया था. पाकिस्तानी आर्मी ने 6 जून 1999 को भारत की सेना को पार्थिव शरीर लौटाया था. शरीर पर सिगरेट से जलाने, कान को गर्म रॉड से सेंकने के निशान थे. इसके अलावा आंख फोड़कर निकाल ली गई थी. दांत टूटे थे तथा हड्डियों और कमर को टुकड़े-टुकड़े में काटा गया था.

वहीं, सौरभ के पिता सैनिकों के लिए सरकार के इस रवैये से बेहद नाराज हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे लगा था बीजेपी सरकार ज्यादा देशभक्त होगी, लेकिन अफसोस की ये सरकार भी वैसी ही है. सांसद राजीव चंद्रशेखर द्वारा संसद में पूछे गए सवाल पर विदेश मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह के बयान से स्पष्ट है कि नई सरकार भी कारगिल के शहीदों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं है.'

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उल्लेखनीय है कि सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उनकी मांग है कि विदेश मंत्रालय इस मसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाए ताकि जिन पाकिस्तानी जवानों ने उनके बेटे की हत्या की उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके, क्योंकि इस तरह का बर्ताव यह युद्ध बंदियों के साथ जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. सौरभ के पिता एनके कालिया 16 साल बाद भी अपने बेटे के लिए न्याय के लिए लड़ाई कर रहे हैं.

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