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बजट में दिखने चाहिए तीन सालों के आर्थिक सुधारों की झलक: उद्योग जगत

सरकार खुलकर कह चुकी है कि वह लोकलुभावन बजट लाने की बजाय समावेशी विकास पर जोर देगी लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि सरकार इस बजट में मौजूदा अर्थव्यवस्था को देखते हुए देश की जनता को लुभाने के लिए भरसक प्रयास करेगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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2018 साल मोदी सरकार अपना आखिरी बजट पेश करेगी. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह बजट न सिर्फ मोदी सरकार का आखिरी बजट होगा बल्कि इस सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा. इस बजट में मोदी सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाएं और योजनाएं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार का भविष्य तय करने में कारगर साबित हो सकती हैं.

सरकार खुलकर कह चुकी है कि वह लोकलुभावन बजट लाने की बजाय समावेशी विकास पर जोर देगी लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि सरकार इस बजट में मौजूदा अर्थव्यवस्था को देखते हुए देश की जनता को लुभाने के लिए भरसक प्रयास करेगी. इस बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें उद्योग जगत को है. पहले नोटबंदी और फिर 1 साल के भीतर ही जीएसटी की मार झेलने के बाद देश की स्माल स्केल इंडस्ट्री और मीडियम स्केल इंडस्ट्री पूरी तरह पंचर हो चुकी है. हालांकि बड़े औद्योगिक घराने हमेशा से ही जीएसटी की मांग करते रहे हैं.

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मोदी सरकार के इस बजट से कॉरपोरेट सेक्टर को बेहद उम्मीदें हैं. कॉरपोरेट सेक्टर में वित्त मंत्री अरुण जेटली से गुहार लगाई है कि वह इस बजट में कॉरपोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 25% के भीतर रखें. उद्योग जगत कॉरपोरेट टैक्स को 18 प्रतिशत करने की मांग कर रहा है. इस बजट को लेकर सीआईआई के डायरेक्टर जनरल चंद्रकांत बनर्जी ने आज तक से बातचीत करते हुए कहा की औद्योगिक जगत इस बजट पर नजरें गड़ाए हुए हैं और उन्हें सरकार से उम्मीद है कि वह कॉरपोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 25% के नीचे रखेंगे. चंद्रकांत बनर्जी ने कहा, "पिछले दो 3 साल से बजट में तमाम प्रावधान बेहद सरल होते जा रहे हैं जो उद्योग जगत के लिए बहुत अच्छा है."

सीआईआई के महानिदेशक को लगता है कि जीएसटी के चलते लघु उद्योग पर बड़ा बुरा प्रभाव अब खत्म हो चुका है. यहां तक कि मध्यम  स्केल इंडस्ट्री भी अब जीएसटी की मार से उबर चुकी है. उद्योग जगत जीएसटी की जटिलता को लेकर सामने आई मुश्किलों को स्वीकार कर रहा है. उसे लगता है कि जीएसटी काउंसिल की एक के बाद एक होने वाली बैठकों में इसका समाधान लगातार निकल रहा है जिससे उद्योग जगत स्थिर हो रहा है.

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 उद्योग जगत की वित्त मंत्री अरुण जेटली से उम्मीदों के सवाल पर जवाब देते हुए सीआईआई के डायरेक्टर जनरल चंद्रका बनर्जी ने आज तक से कहा, "इस बजट पर हमारा ध्यान होना चाहिए कि आर्थिक विकास कैसे आगे ले जाया जाए आर्थिक गतिविधियों को कैसे बढ़ाया जाए और अलग-अलग उद्योग क्षेत्र में हम कैसे ज्यादा से ज्यादा मांग को बढ़ा सकें. उसके लिए हमने सरकार से मांग की है कि कॉरपोरेट टैक्स को 30% से कम किया जाए. हम उम्मीद करते हैं कि कॉरपोरेट टैक्स की अधिकतम सीमा 30% से घटाकर 25% की जाए. कॉरपोरेट टैक्स कम करने से सरकार का रेवेन्यू कम नहीं होगा बल्कि आर्थिक गतिविधियां ज्यादा से ज्यादा तादाद में होंगी. इकनोमिक गतिविधियां ज्यादा बढ़ेंगी तो आर्थिक विकास भी होगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा ऐसे में सरकार की कमाई भी बढ़ेगी."

उद्योग जगत ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ाने को एक बड़ी चुनौती मान रहा है. सीआईआई के महानिदेशक कहते हैं कि इस बजट में हमें उम्मीद है ग्रामीण क्षेत्रों में मांग को कैसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ाए. एग्रीकल्चर पर भी ज्यादा फोकस होना चाहिए. अगर ग्रामीण इलाकों में हम मांग बढ़ा पाए तो अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी बात होगी।

मोदी सरकार के आखिरी बजट से उम्मीद लगाए उद्योग जगत  ने  इस बीच तनाव से भरा वह दौर भी देखा है जब जीएसटी और नोटबंदी ने उद्योग जगत पर दोहरी मार की थी. मोदी सरकार ने इन योजनाओं को आर्थिक सुधार करार दिया था. अब उद्योग जगत का कहना है कि इस झलक में इन आर्थिक सुधारों की तस्वीर दिखाई देनी चाहिए. आज तक से बातचीत में चंद्रकांत बनर्जी ने कहा, "हमें बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण बजट होगा और महत्वपूर्ण इसलिए होगा क्योंकि सरकार द्वारा पिछले 3 साल में लागू की गई आर्थिक सुधारों की झलक नजर आनी चाहिए.

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